scorecardresearch
Sunday, 22 September, 2024
होमदेशअर्थजगतबैंकों ने महामारी के झटके को अब तक बखूबी झेलाः समीक्षा

बैंकों ने महामारी के झटके को अब तक बखूबी झेलाः समीक्षा

Text Size:

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) वित्त वर्ष 2021-22 की आर्थिक समीक्षा के मुताबिक महामारी के आर्थिक झटकों को देश की वाणिज्यिक बैंकिंग प्रणाली ने अच्छी तरह झेला है। हालांकि कुछ विलंबित प्रभाव अभी भी देखे जा सकते हैं।

सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल शुद्ध लाभ वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में यह बढ़कर 31,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में यह 14,688 करोड़ रुपये रहा था।

इसी तरह निजी क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बढ़कर 38,234 करोड़ रुपये हो गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 32,762 करोड़ रुपये रहा था।

कुल मिलाकर, अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पहली छमाही में शुद्ध लाभ 78,729 करोड़ रुपये हो गया जबकि अप्रैल-सितंबर 2020 में यह 59,426 करोड़ रुपये रहा था।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि बैंकों की ऋण वृद्धि 31 दिसंबर 2021 तक 9.2 फीसदी रही। प्रणाली में तरलता का अधिशेष होने और चुनिंदा क्षेत्रों में कर्जों की कीमत के लिए बाह्य मानक व्यवस्था जारी रहने से मौद्रिक पारेषण को मदद मिली।

अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात अप्रैल-सितंबर 2021 की छमाही में घटकर 6.9 फीसदी पर आ गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.5 फीसदी रहा था। वहीं वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध एनपीए अनुपात सितंबर 2021 के अंत में 2.2 फीसदी रहा।

समीक्षा में राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) के संदर्भ में कहा गया है कि इस तरह की समाधान व्यवस्था को सरकार से समर्थन की जरूरत होती है। वैश्विक स्तर पर फंसे कर्जों को आत्मसात करने के लिए गठित बैड बैंक सरकारी समर्थन से ही कारगर हो पाए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एनएआरसीएल को पांच साल के लिए 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी दी है।

भाषा

प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments