नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) देश को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये इस दौरान बुनियादी ढांचे पर 1,400 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत होगी। संसद में सोमवार को पेश 2021-22 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है।
इसमें कहा गया है कि वित्त वर्षों 2008-17 के दौरान भारत ने बुनियादी ढांचे पर 1,100 अरब डॉलर खर्च किये हैं। हालांकि, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को लेकर चुनौतियां भी हैं।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर देशभर में वैश्विक स्तर की ढांचागत सुविधाओं तथा नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार को लेकर राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरुआत की गयी। इसमें वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक करीब 111 लाख करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है।’’
इसमें परियोजना तैयारी में सुधार और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में घरेलू तथा विदेशी निवेश आकर्षित करने पर भी जोर दिया गया है।
एनआईपी की शुरुआत 6,835 परियोजनाओं के साथ की गयी। इनकी संख्या बढ़ाकर 9,000 से भी अधिक कर दी गई है। इसके अंतर्गत 34 बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्र आते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 के दौरान ऊर्जा (24 प्रतिशत), सड़क (19 प्रतिशत), शहरी (16 प्रतिशत) तथा रेलवे (13 प्रतिशत) जैसे क्षेत्रों में अनुमानित पूंजीगत व्यय का 70 प्रतिशत खर्च होने की संभावना है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘‘बुनियादी ढांचा किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। बुनियादी ढांचे की सीमा और गुणवत्ता देश की तुलनात्मक लाभ का उपयोग करने की क्षमता को निर्धारित करती है और लागत प्रतिस्पर्धा को सक्षम बनाती है। मजबूत आपूर्ति व्यवस्था और बुनियादी ढांचे से उत्पन्न सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए, यह सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है।’’
इसमें कहा गया है कि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) इस क्षेत्र में निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही है। अवसंरचना में निजी भागीदारी पर विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, पीपीपी परियोजनाओं की कुल संख्या के साथ-साथ संबंधित निवेश की दृष्टि से विकसित देशों में भारत को दूसरा स्थान प्रदान किया गया है।
पीपीपी परियोजनाओं का आकलन करने वाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी आकलन समिति (पीपीपीएसी) ने वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2020-21 तक 1,37,218 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली 66 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
सरकार ने वित्तीय दृष्टि से अव्यावहारिक लेकिन सामाजिक/आर्थिक दृष्टि से अपेक्षित पीपीपी परियोजनाओं को व्यावहारिक बनाने को लेकर वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए वित्तपोषण व्यवस्था (वीजीएफ) शुरू की। इस योजना के तहत कुल परियोजना लागत के 20 प्रतिशत तक का वित्तपोषण अनुदान के रूप में किया जाता है।
भाषा
रमण अजय
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