जयपुर, 30 जनवरी (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि व्यक्ति सेवा भाव के साथ दूसरों की मदद कर अपने जीवन के उद्देश्य को सार्थक कर सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसी सोच के साथ कुष्ठ रोगियों की सेवा की और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किए।
गहलोत रविवार को सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम द्वारा अंतरराष्ट्रीय कुष्ठ निवारण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोगियों को जब कोई नहीं अपनाता था, उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें गले लगाया और उनकी सेवा करने में कभी संकोच नहीं किया। इससे समाज के कई वर्गों में इस रोग एवं रोगियों के प्रति घृणा कम हुई। उन्होंने कहा कि आज जरूरत कुष्ठ रोगियों में आत्म विश्वास और उनके उपचार के प्रति जागरूकता पैदा करने की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी के आखिरी रविवार को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय कुष्ठ निवारण दिवस के साथ ही शहीद दिवस के इस मौके पर हमें कुष्ठ रोगियों की सेवा का संकल्प लेना होगा, यही बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी के समय वर्ष 1955 में राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय वर्ष 1983 में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप आज देश कुष्ठ मुक्त होने के कगार पर है और नए कुष्ठ रोगियों की संख्या में भी कमी आई है। गहलोत ने कहा कि सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम कुष्ठ रोगियों की सेवा के प्रति समर्पित भाव से कार्य कर रहा है।
उन्होंने संस्था को मुख्यमंत्री सहायता कोष से पांच लाख रुपये देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने प्रदेश में चल रहे 16 कुष्ठ आश्रमों में रह रहे कुष्ठ रोगियों के कल्याण के संबंध में सुझाव आमंत्रित किए। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इन सुझावों का परीक्षण कर कुष्ठ आश्रमों में रह रहे लोगों की मदद की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं एवं समाज के प्रबुद्धजनों को भी आगे आकर कुष्ठ रोगियों की मदद करने की अपील की।
भाषा कुंज कुंज संतोष
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