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Friday, 20 September, 2024
होमदेशआरोपी की मानसिक बीमारी साबित होने के बाद उच्च न्यायालय ने उसे बरी करने का फैसला कायम रखा

आरोपी की मानसिक बीमारी साबित होने के बाद उच्च न्यायालय ने उसे बरी करने का फैसला कायम रखा

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मुंबई, 29 जनवरी (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने हत्या के मामले में 56 वर्षीय आरोपी को बरी किये जाने के एक निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। दरअसल, आरोपी यह साबित करने में सफल रहा कि अपराध के समय वह मानसिक बीमारी से पीड़ित था और उस वक्त यह समझने में असमर्थ था कि उसका कृत्य गैर कानूनी है।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की पीठ ने धनंजय पोरे और उसकी मां शकुंतला को बृहस्पतिवार को बरी कर दिया। फैसले का विस्तृत ब्यैरा शनिवार को उपलब्ध कराया गया।

सत्र अदालत ने 29 मई, 2003 को पोरे को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि वह पैरानॉयड सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित है, जिसके बाद राज्य सरकार ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत की राय में, (पोरे) अपराध के समय खुद के मानसिक रूप से बीमार रहने को साबित करने में सफल रहे हैं।

भाषा रंजन सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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