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Tuesday, 5 November, 2024
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पेगासस पर न्यूयार्क टाइम्स की खबर से विवाद छिड़ा; विपक्ष ने सरकार पर जासूसी करने का आरोप लगाया

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) अमेरिकी समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक खबर में भारत और इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर तथा एक मिसाइल प्रणाली की खरीद शामिल रहने का दावा किये जाने पर शनिवार को एक बड़ा विवाद छिड़ गया।

विपक्ष ने सरकार पर अवैध जासूसी करने में संलिप्त रहने का आरोप लगाया और इसे देशद्रोह करार दिया।

विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत) वी.के. सिंह ने द न्यूयार्क टाइम्स (एनवाईटी) को ‘‘सुपारी मीडिया’’ करार दिया।

एक सरकारी सूत्र ने बताया कि पेगासस सॉफ्टवेयर से जुड़े विषय की निगरानी उच्चतम न्यायालय के तहत एक समिति कर रही है, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर.वी. रविंद्रन कर रहे हैं। सूत्र ने कहा कि समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।

एनवाईटी की खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और नागर विमानन राज्य मंत्री सिंह ने ट्विटर पर कहा, ‘‘क्या आप एनवाईटी पर विश्वास करते हैं? वह ज्ञात सुपारी मीडिया है।’’

इस खबर को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जोरदार हमला करते हुए उस पर संसद और उच्चतम न्यायालय को धोखा देने,लोकतंत्र को हाईजैक करने और देशद्रोह में संलिप्त रहने का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राजनेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। यह देशद्रोह है।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।’’

कांग्रेस ने कहा कि उसका इरादा बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाने का है और पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार से सदन में जवाब देने की मांग की।

कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से भी विषय का स्वत:संज्ञान लेने और जानबूझ कर उसे झांसा देने की कोशिश करने को लेकर सरकार के खिलाफ उपयुक्त दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने का भी अनुरोध किया।

मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सरकार ने पेगासस पर आईटी समिति को जवाब नहीं देने का विकल्प चुना और जब इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, तब भाजपा के कई सदस्यों द्वारा कोरम पूरा नहीं होने देने के लिए अपनाये गये रुख का भी यह मतलब है कि समिति ने सच्चाई को सामने लाने में कोई प्रगति नहीं की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय विषय को देख रहा है और मेरी भी यही कामना है। यदि हमारी सरकार ने उस तरीके से पेगासस का इस्तेमाल किया है, जैसा कि आरोप लगाया गया है, तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।’’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘(नरेंद्र) मोदी सरकार को हलफनामे में अवश्य ही स्पष्ट रूप से बताना चाहिए क्यों उसने यह साइबर हथियार खरीदा, किसने इसके इस्तेमाल की अनुमति दी, लक्ष्यों को कैसे चयनित किया गया और किसने ये रिपोर्ट प्राप्त की? ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के नाजुक मुद्दे पर चुप्पी का मतलब इसकी आपराधिक गतिविधि की स्वीकारोक्ति है।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) महासचिव डी. राजा ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर सच्चाई को संसद से छिपाया और अब वे जवाबदेह हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब यह स्पष्ट है कि सरकार पेगासस स्पाईवेयर के बारे में यहां तक कि संसद से भी कुछ सच्चाई छिपा रही है। लेकिन अब वह बेनकाब हो गई है।’’

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि स्पाईवेयर का इस्तेमाल रक्षा उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया गया।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘यदि भाजपा है तो यह संभव है। उन्होंने देश को बिग बॉस शो बना दिया है।’’

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार को न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे को खारिज करना चाहिए। इजरायली कंपनी एनएसओ ने 300 करोड़ रुपये में पेगासस बेचा। प्रथम दृष्टया यह लगता है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय और संसद को गुमराह किया है। क्या यह ‘वाटरगेट’ है?’’

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के उस ‘‘आक्षेप’’ को ”पूरी तरह बकवास” करार दिया, जिसमें कहा गया है कि इजराइली स्पाईवेयर सहित अन्य उपकरणों की खरीद का सौदा होने के बाद इजराइल तथा नयी दिल्ली के बीच संबंध और गहरे हो गए तथा फिर भारत ने 2019 में संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद में इजराइल के समर्थन में मतदान किया।

वर्ष 2016 से 2020 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे अकबरुद्दीन ने न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट पर एक ट्वीट टैग करते हुए कहा,‘‘भारत के संयुक्त राष्ट्र वोट के बारे में आक्षेप पूरी तरह से बकवास है…।’’

उल्लेखनीय है कि न्यूयार्क टाइम्स की ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरविपन’ शीर्षक वाली खबर में कहा गया है कि इजराइली कंपनी एनएसओ समूह करीब एक दशक से अपना जासूसी सॉफ्टवेयर दुनिया भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों को बेच रही है।

खबर में मोदी की 2017 में इजराइल यात्रा का भी जिक्र किया गया है, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वहां की पहली यात्रा थी।

गौरतलब है कि पिछले साल कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने दावा किया था कि कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर देश में सियासत गर्मा गई थी।

भाषा

सुभाष पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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