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Sunday, 29 September, 2024
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स्वशासित सामाजिक, धार्मिक सोसाइटी की निर्णय प्रक्रिया को सरकार नियंत्रित नहीं कर सकती : शीर्ष अदालत

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नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि स्वशासित सामाजिक और धार्मिक न्यासों पर ‘सरकार का अत्यधिक नियंत्रण’ नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह स्वायत्तता और लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लेने के सिद्धांत को तिरोहित करेगा।

शीर्ष अदालत का यह निर्णय पारसी जोरोस्ट्रियन अंजूमन, महू की अपील पर आया, जिसमें पंजीकृत सामाजिक और धार्मिक न्यासों पर सरकार के नियंत्रण के अधिकार पर सवाल उठाये गये थे। सोसाइटी रजिस्ट्रार ने सभी जरूरी प्रक्रिया अपनाये जाने के बावजूद मध्य प्रदेश में अंजूमन की पांच सम्पत्तियों को बेचने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति आर रवीन्द्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा, ‘‘आक्षेपित निर्णय और रजिस्ट्रार का फैसला निरस्त किया जाता है।’’ पीठ ने साथ ही पारसी ट्रस्ट को अपनी पांचों सम्पत्तियों को नये मूल्यांकन के साथ बेचने की अनुमति प्रदान कर दी।

पीठ की ओर से न्यायमूर्ति भट्ट द्वारा लिखित आदेश में पंजीकृत सामाजिक एवं धार्मिक न्यासों के मामलों को नियंत्रित करने के सरकार के अधिकार को माना तो गया है ताकि उनकी सम्पत्तियां व्यर्थ में नुकसान हो जाएं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सरकार स्वशासित सोसाइटियों की निर्णय लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित नहीं कर सकती।

पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत की नजर में उच्च न्यायालय का फैसला त्रुटिपूर्ण है।’’

भाषा सुरेश माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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