गुवाहाटी, 27 जनवरी (भाषा) असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने नगांव जिले में एक पूर्व छात्र नेता पर पुलिस की गोलीबारी की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को नोटिस जारी कर सवाल किया कि राज्य सरकार को क्यों नहीं पीड़ित को मुआवजा देना चाहिए।
आयोग ने मीडिया में आयी खबरों के आधार पर 24 जनवरी को स्वत: संज्ञान लेते हुए एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि ‘प्रथम दृष्टया’ यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला है।
आयोग सदस्य नबा कमल बोरा ने आदेश में कहा, ‘… असम के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करना जरूरी समझा गया है कि पीड़ित (कीर्ति कमल बोरा) को अंतरिम राहत के रूप में डेढ़ लाख रुपये के मुआवजे के भुगतान की सिफारिश क्यों नहीं की जानी चाहिए।’
आयोग ने मुख्य सचिव के जवाब के साथ मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पीड़ित के मादक पदार्थों का तस्कर होने का आरोप लगाया है। कीर्ति कमल बोरा 22 जनवरी को नगांव जिले में पुलिस की गोलीबारी में घायल हो गए थे।
इस घटना के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक समूहों ने इसे मौजूदा ‘पुलिस जंगल राज’ का असर बताते हुए दावा किया कि वर्तमान स्थिति 1990 के दशक की ‘गुप्त हत्याओं’ के दौर से भी बदतर है।
भाषा अविनाश माधव
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