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Sunday, 6 October, 2024
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महान हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का निधन

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नयी दिल्ली, 27 जनवरी ( भाषा ) भारत की 1964 तोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे ।

चरणजीत अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे । उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है । पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे ।

उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया ,‘‘ पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे । वह छड़ी से चलते थे लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई । उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली ।’’

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे । इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे ।

सिंह ने कहा ,‘‘ मेरी बहन के दिल्ली से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा ।’’

चरणजीत की पत्नी का 12 वर्ष पहले निधन हो गया था । उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ था । उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रहती है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चरणजीत के निधन पर शोक व्यक्त किया और भारतीय हॉकी में उनके योगदान को याद किया।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी श्री चरणजीत सिंह के निधन से दुखी हूं। उन्होंने भारतीय हॉकी टीम की सफलताओं विशेषकर 1960 के दशक में रोम और तोक्यो ओलंपिक में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उनके परिवार तथा मित्रों के लिये संवेदनाएं। ओम शांति।’’

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चरणजीत की उपलब्धियां देश के हॉकी खिलाड़ियों के प्रेरणादायी रहीं।’’

ठाकुर ने ट्वीट किया, ‘‘देवभूमि हिमाचल के ऊना में जन्में पूर्व भारतीय हाकी खिलाड़ी व कप्तान श्री चरणजीत सिंह जी का देवलोकगमन दुखदाई है। आपका देहावसान खेल जगत की एक बहुत बड़ी क्षति है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चरणजीत जी के नेतृत्व में ही भारतीय टीम ने 1964 में तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। खेल में उन्हें असाधारण प्रतिभा व उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।’’

ठाकुर ने कहा, ‘‘आपका जीवन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। ईश्वर स्नेहजनों को यह दुःख सहने की शक्ति व पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ओम शांति।’’

दो बार के ओलंपियन चरणजीत भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों के साक्षी थे । करिश्माई हाफ बैक चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता ।

वह देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल और पंजाब यूनिवर्सिटी से पढे । अंतरराष्ट्रीय हॉकी में सुनहरे कैरियर को अलविदा कहने के बाद वह शिमला में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक भी रहे ।

वह 1960 ओलंपिक में भारत के शानदार प्रदर्शन के नायकों में से रहे लेकिन चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके जो भारत एक गोल से हार गया था । इसके चार साल बाद उनकी कप्तानी में टीम ने बदला चुकता करके पीला तमगा जीता ।

उन्होंने हॉकी इंडिया फ्लैशबैक सीरिज में कहा था ,‘‘ दोनों टीमें उस समय की सबसे मजबूत टीमें थी । ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना काफी तनावपूर्ण था और दोनों टीमों के सदस्यों का दिमाग ठंडा करने के लिये मैच कई बार रोका गया ।’’

उन्होंने कहा था ,‘‘ मैने अपने लड़कों से कहा कि उनसे बात करने की बजाय अपने खेल पर फोकस करो । हमारे सामने कठिन चुनौती थी लेकिन हम खरे उतरे और स्वर्ण पदक के साथ लौटे ।’’

हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया ।

हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा ,‘‘ हॉकी जगत के लिये यह दुखद दिन । उम्र के इस पड़ाव पर भी हॉकी का जिक्र आने पर उनकी आंखों में चमक आ जाती थी । उन्हें भारतीय हॉकी के उन गौरवशाली दिनों की हर याद ताजा थी जिनका वह हिस्सा रहे थे ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढी को प्रेरित किया । वह शांतचित्त कप्तान थे और मैदान पर उन्हें उनके कौशल तथा मैदान के बाहर सज्जनता के लिये हमेशा याद रखा जायेगा ।’’

भाषा मोना पंत

पंत सुधीर

सुधीर

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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