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Monday, 25 November, 2024
होमराजनीति'हमेशा कांग्रेस वर्कर बना रहूंगा': बेटे से विवाद के चलते पूर्व CM राणे गोवा में चुनाव मैदान से हटे

‘हमेशा कांग्रेस वर्कर बना रहूंगा’: बेटे से विवाद के चलते पूर्व CM राणे गोवा में चुनाव मैदान से हटे

छह बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे राणे कभी कोई चुनाव नहीं हारे और वे 1972 से लगातार पोरीम सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. इस बार उनकी बहू इसी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.

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मुंबई: गोवा के सबसे लंबे समय तक विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रताप सिंह राणे ने गुरुवार को राणे परिवार के भीतर चल रही तेज अंदरूनी कलह के बीच आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.

गोवा के छह बार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे राणे कभी कोई चुनाव नहीं हारे और 1972 के बाद से गोवा के पोरीम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, तब भी जब गोवा एक केंद्र शासित प्रदेश था और इस निर्वाचन क्षेत्र को ‘सत्तारी’ के नाम से जाना जाता था.

इस बार, अगर राणे सीनियर ने चुनाव लड़ने का फैसला किया होता तो वह अपनी ही बहू देविया राणे, जो कि राणे सीनियर के बेटे और 2017 से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ बने हुए विश्वजीत राणे की पत्नी हैं, के साथ सीधे मुकाबले में होते.

भाजपा ने 82 वर्षीय प्रताप सिंह राणे के गढ़ रहे पोरिम सीट से देविया राणे को नामांकित किया है, जबकि पार्टी ने विश्वजीत को उस वालपोई सीट से टिकट दिया है जिसका वे 2007 से प्रतिनिधित्व कर रहे है. पहले एक निर्दलीय के रूप में, फिर एक कांग्रेस विधायक के रूप में और हाल-फ़िलहाल में एक भाजपा विधायक के रूप में.

दिप्रिंट से बात करते हुए, प्रतापसिंह राणे ने कहा: ‘मैंने अपने 50 साल अच्छी, साफ-सुथरी राजनीति में बिताए हैं. मुझे लोगों के लिए काम करने के लिए चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है. परिवार का मुखिया होने के नाते, किसी-न-किसी को परिपक्व निर्णय लेने की जरूरत है और मैंने ऐसा ही करने का फैसला किया है.’

उन्होंने कहा: ‘मैं हमेशा से एक कट्टर कांग्रेस कार्यकर्ता रहा हूं और आगे भी बना रहूंगा. कांग्रेस जिस किसी भी उम्मीदवार को इस निर्वाचन क्षेत्र से उतारने करने का फैसला करेगी, मैं उसका समर्थन करूंगा.‘

पिछले महीने, विश्वजीत राणे ने अपने पिता को ‘शान के साथ सेवानिवृत्त’ होने की सलाह दी थी और चेतावनी दी थी कि अन्यथा चीजें ‘बहुत गड़बड़’ हो सकती हैं.

प्रतापसिंह राणे के चुनावी दौड़ से बाहर होने का यह फैसला कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका होगा जिसने इस सीट पर राणे की पकड़ के कारण दशकों तक सुरक्षित रूप से कब्जा जमाये रखा था.

बुधवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, गोवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने कहा था, ‘श्री राणे के चुनाव न लड़ने के की वजह से मैं यह नहीं कह रहा हूं कि (कांग्रेस की पोरीम में जीतने की) संभावनाएं बहुत अच्छी हैं, लेकिन हमारी संभावनाएं खराब भी नहीं हैं. अगर कांग्रेस के पक्ष में लहर बनी तो कुछ भी हो सकता है.‘


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राणे के साथ संबंध बढ़ाने के लिए भाजपा का प्रस्ताव

भाजपा पिछले कुछ समय से प्रतापसिंह राणे के साथ अपने सम्बन्ध बढ़ाने के लिए प्रस्ताव दे रही थी ताकि पोरीम सीट पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर की जा सके और सत्ताधारी पार्टी की उस सीट पर संभावना बढ़ जाये जो उसने कभी नहीं जीती है.

सितंबर में, गोवा के लिए भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षक देवेंद्र फडणवीस प्रतापसिंह राणे के घर रात के खाने पर गए थे. इस बैठक के बाद भाजपा ने राणे सीनियर के कांग्रेस छोड़ने के संकेत दिए थे. दिसंबर में, राणे ने यह कहते हुए सारी बात साफ कर दी थी कि ‘ये लोग सिर्फ अफवाह फैलाना चाहते हैं … मैं 45 साल से अधिक समय से कांग्रेस पार्टी से संबंधित हूं और मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी, खासकर इस मोड़ पर, कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बारे में सोचूंगा. मैं बस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से ताल्लुक रखता हूं और बात खत्म.’

इस महीने की शुरुआत में, जब फडणवीस ने पोरीम से देविया राणे को उम्मीदवार बनाया था, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा था कि राणे सीनियर ने चुनाव नहीं लड़ने और भाजपा के लिए यह सीट छोड़ने का फैसला किया है. इस पर विश्वजीत राणे ने तीखा पलटवार करते हुए कहा था कि फडणवीस के साथ कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है और यह उनके ‘पिता की संपत्ति नहीं है’ जो वह किसी को दे दें.

जनवरी की शुरुआत में, गोवा की भाजपा सरकार ने प्रतापसिंह राणे को एक विधायक के रूप में उनके 50 साल के कार्यकाल तथा पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष के रूप में राज्य के प्रति उनके योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें आजीवन रूप से कैबिनेट रैंक के साथ सम्मानित किया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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