कोच्चि, 27 जनवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कथित सदस्य टी. नजीर और शफास को बरी कर दिया, जिन्हें 2011 में यहां एनआईए अदालत ने 2006 कोझिकोड दोहरे विस्फोट मामले में दोषी ठहराया था।
अदालत ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ पहले आरोपी नजीर और चौथे आरोपी शफास द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया।
नजीर और अन्य आरोपियों के खिलाफ तीन मार्च, 2006 को कोझिकोड केएसआरटीसी और मुफस्सिल बस स्टैंड पर बम विस्फोटों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने का आरोप लगाया गया था।
एनआईए मामलों की विशेष अदालत ने नजीर और शफास दोनों को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत अपराधों का दोषी पाया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है जिनसे आरोपियों को उचित संदेह से परे दोषी ठहराया जा सके।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम घटना के लगभग चार साल बाद, एनआईए द्वारा अपने हाथ में लिए गए मामले में जांच की कठिनाई को समझते हैं। एक अन्य विस्फोट मामले में तीसरे आरोपी (ए 3) की गिरफ्तारी तक जांच अधिकारी लगभग चार साल से अंधेरे में तीर चला रहे हैं।’’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दूसरी घटना (सांप्रदायिक दंगा मामले) में आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने के कारण, नजीर और शफास सहित नौ आरोपियों पर दोहरे विस्फोटों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने का आरोप लगाया गया था, जिसमें 142 में से 136 आरोपी लगभग साढ़े चार साल तक विचाराधीन कैदी के रूप में कैद रहे।
तीन मार्च, 2006 को कोझिकोड में अपराह्र 12.30 से 1.00 बजे के बीच केएसआरटीसी और मुफस्सिल बस स्टैंड के अंदर दो स्थानों पर दो बम विस्फोट हुए। मामले क्रमशः कस्बा और नदक्कवु पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे, जिन्हें बाद में अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाग (सीबीसीआईडी) को सौंपा गया था और फिर इन मामलों की जांच एनआईए को सौंपी गई थी।
दक्षिण भारत में आतंकवादी गतिविधियों के संदिग्ध सरगना नजीर को 2009 में गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में आतंकवाद से संबंधित विभिन्न मामलों के सिलसिले में जेल में है।
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
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