नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) खुदरा विक्रेताओं के संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) ने कहा है कि कोरोना वायरस से प्रभावित क्षेत्र के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) की जरूरत है।
आरएआई ने अपनी बजट इच्छा-पत्र में कहा कि गरीबों के हाथों में अधिक पैसा देने की जरूरत है। दो साल में महामारी ने गरीब वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है।
आरएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कुमार राजगोपालन ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘‘कोरोना से संबंधित प्रतिबंध सबसे अधिक रेस्तरां, दुकानों, सैलून आदि जैसे उच्च संपर्क क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। इसलिए खुदरा क्षेत्र में वित्त के लिए ईसीएलजीएस की घोषणा की जानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, खुदरा क्षेत्र को हाल में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के तहत प्राथमिकता क्षेत्र ऋण दिशानिर्देशों में शामिल किया गया है, लेकिन यह जरूरी है कि उसे एमएमएसई नीतियों के तहत मिलने वाला समर्थन दिया जाए, क्योंकि 90 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र को एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटलीकरण के लिए वित्तीय सहायता भी खुदरा क्षेत्र को बेहतर ढंग से बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। इसके अलावा डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) के जरिये खुदरा विक्रेताओं को सक्षम कर इस क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सकता है।’’
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के लिए बेहतर दिशानिर्देशों की मांग करते हुए संघ ने कहा कि कपड़ों, भोजन और आवास पर जीएसटी की दरों में कोई भी वृद्धि खपत पर सीधा प्रभाव डालती है।
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