नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबे मीडिया हाउस डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड के लिये विजन इंडिया फंड-श्रेई मल्टीपल एसेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट की समाधान योजना को मिली मंजूरी खारिज कर दी है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि समाधान योजना में कर्जदारों के बीच धन के आवंटन में ‘भेदभाव’ है।
दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की हैदराबाद पीठ की तीन जून, 2019 को बोली को दी गयी मंजूरी कानून के अनुसार टिकने योग्य नहीं है। पीठ ने डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लि. मामले को फिर से कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) के पास भेज दिया।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने सीओसी को आईबीबीआई (कॉरपोरेट इकाइयों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) विनियमन, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप ‘समाधान राशि वितरित करने’ का निर्देश दिया है।
एनसीलएटी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि समाधान राशि के आवंटन में भेदभाव हुआ है। अत:, सीओसी द्वारा समाधान योजना का अनुमोदन और बाद में तीन जून, 2019 के आदेश के तहत एनसीएलटी की समाधान योजना की मंजूरी कानून के हिसाब टिकाऊ नहीं है।’’
अपीलीय न्यायाधिकरण का यह आदेश आईडीबीआई की याचिका पर आया।
याचिका में ट्रस्ट विजन इंडिया फंड – श्रेई मल्टीपल एसेट इन्वेस्टमेंट रिजॉल्यूशन प्लान को ‘भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे रद्द करने का आग्रह किया गया था।
योजना के तहत वित्तीय कर्जदारों को 350 करोड़ रुपये की अग्रिम नकदी की पेशकश की गई थी। डीसीएचएल के 37 वित्तीय कर्जदारों के कुल स्वीकृत दावे 8,180 करोड़ रुपये थे।
केनरा बैंक की याचिका पर एनसीएलटी ने डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की थी।
भाषा रमणआदेश अजय
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