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Sunday, 17 November, 2024
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एसोचैम का सरकार को तांबा कंसन्ट्रेट पर सीमा शुल्क समाप्त करने का सुझाव

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नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार को तांबा कंसन्ट्रेट (सांद्र) पर सीमा शुल्क को 2.5 प्रतिशत से घटाकर ‘शून्य’ करने का सुझाव दिया है। तांबा कंसन्ट्रेट उद्योग में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख कच्चा माल है।

सरकार को अपनी बजट-पूर्व सिफारिशों में एसोचैम ने कहा है कि उद्योग को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है। इससे उद्योग को शून्य शुल्क के तहत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वाले देशों से आयातित मूल्यवर्धित तांबा उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

एसोचैम ने कहा, ‘‘भारत में तांबा कंसन्ट्रेट की अनुपलब्धता को देखते हुए इसके आयात पर शुल्क लगाने का कोई आर्थिक आधार नहीं है। इस पर आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य या समाप्त कर दिया जाना चाहिए। इससे भारतीय उद्योग को एफटीए देशों से आयातित तांबे के मूल्यवर्धित उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।’’

तांबा कंसन्ट्रेट की घरेलू उपलब्धता मात्र पांच प्रतिशत है। ऐसे में भारतीय तांबा उद्योग अपनी जरूरत का 95 प्रतिशत कंसन्ट्रेट आयात करता है।

तांबा कंसन्ट्रेट पर फिलहाल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत है जबकि मुक्त व्यापार समझौतों के तहत परिष्कृत तांबे का भारत में शून्य शुल्क पर आयात हो रहा है। इस तरह यह पूरी तरह से उलट शुल्क ढांचे का मामला बनता है।

दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं….जापान, चीन, थाइलैंड और मलेशिया के पास भी पर्याप्त कंसन्ट्रेट नहीं है, लेकिन इन देशों में इसके शुल्क मुक्त आयात की व्यवस्था है।

इंडोनेशिया जैसे आपूर्तिकर्ता देशों से निर्यात अंकुशों की वजह से भारत के लिए तांबा कंसन्ट्रेट मंगाना मुश्किल हो रहा है। इंडोनेशिया भारत का एफटीए भागीदार है। ऐसे में भारत के पास एटीएफ मार्ग से चिली से आयात का भी सीमित विकल्प ही बचता है। चिली ने जापान, चीन और अन्य देशों को तांबा कंसन्ट्रेट के निर्यात के लिए दीर्घावधि के अनुबंध किए हैं। वह अपने उत्पादन का 90 प्रतिशत तक निर्यात करता है।

भाषा अजय

अजय

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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