मुंबई, 22 जनवरी (भाषा) एक आगामी हिंदी फिल्म में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे की भूमिका निभाने के लिये विभिन्न वर्गों में आलोचना का सामना कर रहे अभिनेता व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सांसद अमोल कोल्हे ने जोर देकर कहा कि वह गांधीवादी विचारों में ”दृढ़ विश्वास” रखते हैं। कोल्हे ने कहा कि उन्होंने एक अभिनेता के तौर पर खुद को चुनौती देने के लिये ही विवादित भूमिका निभाने का निर्णय लिया।
गोडसे की भूमिका निभाने के लिये कोल्हे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड के साथ-साथ राजनीतिक विरोधियों की ओर से भी आलोचना का सामना कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह गोडसे की विचारधारा का समर्थन नहीं करते।
हालांकि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने अभिनेता का समर्थन किया है।
अशोक त्यागी द्वारा निर्देशित और कल्याणी सिंह द्वारा निर्मित फिल्म ”वाइ आई किल्ड गांधी” में 41 वर्षीय अभिनेता-राजनीतिक नेता महात्मा गांधी के हत्यारे की भूमिका में दिखेंगे। फिल्म की शूटिंग 2017 में हुई थी और 30 जनवरी को यह एक ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। साल 1948 में इसी दिन गांधी की हत्या की गई थी।
फिल्म का ट्रेलर ऑनलाइन जारी होने एक महीने बाद अभिनेता की भूमिका को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
दो मिनट 20 सेकेंड के ट्रेलर में कोल्हे को गोडसे की भूमिका में गांधी के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट करते हुए देखे जा सकते हैं। गोडसे का मानना था कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के लिये गांधी जिम्मेदार थे।
कोल्हे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ”यह एक अलग तरह की चुनौती थी। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि मैं उसकी विचारधारा में विश्वास नहीं करता और फिर भी मुझे उसकी भूमिका निभानी पड़ी। एक अभिनेता के तौर पर खुद को चुनौती देने के लिये ही विवादित भूमिका निभाने का निर्णय लिया।”
हालांकि कोल्हे ने कहा कि वह एक व्यक्ति के तौर पर ”गांधीवादी विचारधारा में दृढ़ विश्वास” रखते हैं।
उन्होंने कहा, ”मैं इस विचारधारा का पालन करता हूं कि किसी भी हत्या को उचित नहीं ठहराया जा सकता। आप हत्या को सही नहीं ठहरा सकते और मेरी विचारधारा भी यही है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि यह (गांधी की हत्या) भारतीय इतिहास की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में से एक है और किसी की हत्या को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता।”
इस बीच कोल्हे की पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, ”फिल्म में अभिनय करने के डॉ. अमोल कोल्हे के फैसले को एक कलाकार की पसंद के रूप में देखा जाना चाहिए। अगर उन्होंने वह भूमिका निभाई है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गोडसे की विचारधारा या विचारों का समर्थन करते हैं।”
भाषा जोहेब प्रशांत
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