नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद एक योग्य चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के खिलाफ इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने साथ ही संस्थान से यह सुनिश्चित करने के लिए एक नीति तैयार करने को कहा कि इसके सदस्य अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा समय-समय पर करें।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि पेशे के लिए बहुत उच्च स्तर की सत्यनिष्ठा की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा कि आईसीएआई को एक ढांचा तैयार करने की स्पष्ट आवश्यकता है ताकि इसके सदस्यों द्वारा दोषसिद्धि और लंबित मामलों के संबंध में शुरुआत में और नियमित आधार पर बताया जाता रहे।
अदालत ने कहा, ‘‘आईसीएआई के लिए नियमावली (सदस्यों के लिए) को संशोधित करने और एक प्रारूप तैयार करने की स्पष्ट आवश्यकता है जिसमें चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के लिए शुरुआत में ही खुलासा कर सकें। साथ ही सदस्यों के लिए यह जरूरी होना चाहिए कि वे आईसीएआई को समय-समय पर, वार्षिक रूप से सूचित करें कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला शुरू हुआ है नहीं या दोषसिद्ध हुई या नहीं।’’
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता सीए ने उसे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949 की धारा 8 के तहत आईसीएआई द्वारा 2018 में कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने को चुनौती दी थी। नोटिस में पूछा गया था कि याचिकाकर्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 506 के तहत दोषसिद्धि और सजा को देखते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को सीए के रूप में नामांकन के बाद दोषी ठहराया गया था और उसे सजा निलंबित होने से पहले लगभग सात महीने तक कैद में रहना पड़ा। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने सीए के रूप में अपनी सेवाएं देना जारी रखा।
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