नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) मौजूदा रबी सत्र में भारत का सरसों का उत्पादन अधिक रकबे में बुवाई के कारण रिकॉर्ड 120 लाख टन तक पहुंच सकता है। तेल उद्योग के प्रमुख निकाय, एसईए ने यह अनुमान जताया है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने यह मांग भी की है कि सरकार को सरसों और उसके उत्पादों के वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की अनुमति देनी चाहिए।
व्यापार अनुमानों के अनुसार, फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में सरसों का उत्पादन लगभग 86-87 लाख टन रहा। हालांकि, सरकार ने 101 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया था।
एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने अपने सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘हालांकि काफी चर्चा और विमार विमर्श किये जाने वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर अभी भी काम शुरु नहीं हो पाया है लेकिन रबी रेपसीड-सरसों के तहत खेती के रकबे में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’’
सामान्य तौर पर सरसों-रेपसीड के खेती के रकबे का पिछले पांच वर्षो का औसत 61.5 लाख हेक्टेयर है लेकिन इसके मुकाबले इस बार 13 जनवरी को खेती का रकबा 90.5 लाख हेक्टेयर पर बताया गया है।
चालू रबी मौसम की बुवाई अवधि के दौरान अधिक कीमत और अनुकूल मौसम के कारण गेहूं के बजाय सरसों खेती की ओर किसानों का जाना हुआ है।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘अगर चालू वर्ष के दौरान सरसों का उत्पादन 120 लाख टन के जादुई आंकड़े को छू जाए तो हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने सरसों और इसके उत्पादों में वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने पर जोर दिया।
अक्टूबर 2021 में, सेबी ने सरसों दाना (तिलहन) सहित कई कृषि जिंसों में विभिन्न वायदा और विकल्प व्यापार को इस उम्मीद के साथ निलंबित कर दिया था कि यह कीमतों को नियंत्रित करेगा और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगायेगा।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘लेकिन पिछले तीन महीनों में कीमतों में कमी नहीं आई है और बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए वायदा कारोबार को स्थगित करने का कोई असर नहीं पड़ा है और इससे मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मदद नहीं मिली है।’
उन्होंने कहा कि सरसों के वायदा अनुबंधों को स्थगित करने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है।
एसईए अध्यक्ष ने कहा, ‘चूंकि नई सरसों की फसल मार्च की शुरुआत में आयेगी, अत: हमने सरकार और सेबी से सरसों के वायदा अनुबंध को निलंबित करने के पहले के फैसले पर फिर से विचार करने और इसे जल्द से जल्द फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है ताकि नए सत्र में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।’
इससे पहले, सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के अध्यक्ष बाबूलाल डेटा ने भी अनुमान लगाया था कि फसल वर्ष 2021-22 के रबी सत्र के दौरान सरसों का उत्पादन रिकॉर्ड 100-110 लाख टन तक बढ़ सकता है।
भाषा राजेश राजेश रमण
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