scorecardresearch
Tuesday, 26 November, 2024
होमदेशबिना टीका वालों पर मुम्बई की उपनगरीय ट्रेनों में यात्रा पर पाबंदी जनहित में : महाराष्ट्र सरकार

बिना टीका वालों पर मुम्बई की उपनगरीय ट्रेनों में यात्रा पर पाबंदी जनहित में : महाराष्ट्र सरकार

Text Size:

मुम्बई, 20 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि कोरोना वायरस के विरूद्ध पूरी तरह टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोगों के उपनगरीय ट्रेनों से यात्रा करने पर रोक कानून सम्मत एवं ‘तर्कसंगत’ है।

सरकार के वकील अनिल अंतुरकार ने कहा कि वैसे तो ऐसी पाबंदी संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (डी) के तहत स्वतंत्र रूप से आने-जाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है लेकिन यह महामारी के मद्देनजर ‘तर्कसंगत’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह नागिरकों के मौलिक अधिकार पर लगायी गयी तर्कसंगत पाबंदी है और ऐसी पाबंदी व्यापक जनहित खासकर उनके अपने ही फायदे के लिए लगायी गयी है।’’

वह मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता एवं न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ के सामने यह दलील रख रहे थे। पीठ उन जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई कर रही थी जिसमें स्थानीय ट्रेनों में बिना कोविड-19 टीकाकरण वाले यात्रियों की यात्रा पर लगायी गयी पाबंदी को चुनौती दी गयी है।

अगस्त , 2021 में एक अधिसूचना जारी की गयी थी जिसमें उपनगरीय ट्रेनों में यात्रा के वास्ते टीकाकरण प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया।

याचिकाकर्ता के वकीलों नीलेश ओझा और तनवीर निजाम ने दलील दी थी कि यह अधिसूचना अवैध, मनमानीपूर्ण एवं समानता एवं स्वतंत्र आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन है।

अंतुरकार ने अदालत से कहा, ‘‘महाराष्ट्र ने (महामारी की) पहली लहर के दौरान चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों से भारी नुकसान उठाया। इसलिए हम इस बार अधिक सावधानी बरतना और मामलों को न्यूनतम करने के लिए यथासंभव एहतियात बरतना चाहते हैं। ’’

उन्होंने कहा कि वैसे तो टीकाकरण से पूर्ण प्रतिरक्षा की गारंटी नहीं मिल सकती है लेकिन यह अस्पताल में भर्ती एवं मौत को रोकने की दिशा में एक कदम है, इसलिए किसी भी अतिरेक आकस्मिक स्थिति से बचने के लिए ट्रेन में यात्रा पार पाबंदी लगायी गयी है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि इस महामारी से निपटने की केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय योजना’ में टीकाकृत एवं गैर टीकाकृत जैसा कोई भेदभाव नहीं है।

राज्य सरकार ने इस बात से इनकार किया कि ट्रेन यात्रा पर पाबंदी कोई भेदभाव है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सकार के वकील से इस बिंदु पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा कि और मामले की सुनवाई शुक्रवार को लिए स्थगित कर दी।

भाषा

राजकुमार नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments