जयपुर, 20 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोग ऐसे भारत को उभरते हुए देख रहे हैं जिसकी ‘‘सोच व एप्रोच (दृष्टिकोण)’’ नई है और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं। मोदी ने कहा कि सरकार समानता व सामाजिक न्याय आधारित समाज बना रही है जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो
इसके साथ ही मोदी ने आगामी 25 साल को देश लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘‘यह कालखंड सैकड़ों वर्ष की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया उसे दोबारा प्राप्त करने का है।’’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि खराब करने की प्रवृत्ति पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जाने।’’
प्रधानमंत्री मोदी माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारीज संस्थान द्वारा आयोजित ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम के शुरुआत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव समारोहों के क्रम में ब्रह्मकुमारीज संस्था का यह कार्यक्रम स्वर्णिम भारत की भावना, प्रेरणा और साधना का परिचायक है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ निजी आकांक्षाएं और सफलताएं हैं, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय आकांक्षाएं और सफलताएं हैं, जिनके बीच कोई अंतर नहीं है। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुये कहा, ‘‘राष्ट्र की प्रगति ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है, और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। यह भाव, यह बोध ही नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। आज देश में जो कुछ हो रहा है, उसमें ‘सबका प्रयास’ शामिल है।”
उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास देश का दिग्दर्शक मूलमंत्र बन रहा है। नए भारत की नवोन्मेषी और प्रगतिशील नई सोच और नई दृष्टि का उल्लेख करते उन्होंने कहा, “आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो।”
प्रधानमंत्री ने उपासना की भारतीय परंपरा और महिलाओं के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं।’
प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों में महिलाओं के प्रवेश, मातृत्व अवकाश में बढ़ोतरी, अधिक संख्या में मतदान के रूप में बेहतर राजनीतिक भागीदारी और मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व जैसे सुधार को महिलाओं के बीच नए आत्मविश्वास का प्रतीक बताया। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि यह आंदोलन समाज के नेतृत्व में हुआ है और और कहा कि देश में महिला-पुरुष के अनुपात में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। उन्होंने कहा कि बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़ते, जूझते, समय खपाते रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।’
प्रधानमंत्री ने सभी का आह्वान करते हुए कहा, ‘हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।’
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि खराब करने की प्रवृत्ति पर दुख जताते हुए कहा, “आप सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किस तरह अलग-अलग प्रयास चलते रहते हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत कुछ चलता रहता है। इससे हम ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि ये सिर्फ राजनीति है। ये राजनीति नहीं है, ये हमारे देश का सवाल है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जाने।’
प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि ऐसी संस्थाएं जिनकी एक अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरूक करें।
इस कार्यक्रम से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी, भूपेन्द्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल, पुरुषोत्तम रुपाला व कैलाश चौधरी भी आनलाइन जुड़े।
भाषा पृथ्वी
अर्पणा माधव
माधव
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