नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मंगलवार को कहा कि वह जम्मू कश्मीर में कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) के बंद होने से बहुत दु:खी है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कहा था कि कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) का अस्तित्व अब खत्म हो गया है और घाटी में पत्रकारों के सबसे बड़े निकाय को आवंटित परिसरों को वापस ले लिया गया है।
गिल्ड ने इस मुद्दे पर तीन दिन के भीतर अपने दूसरे बयान में इस कदम को ‘परेशान करने वाली घटनाओं की कड़ी में ताजा घटनाक्रम’ बताया।
गिल्ड ने कहा कि प्रशासन के कदम से पहले संस्था के नियमों का उल्लंघन किया गया जब कुछ लोगों के समूह ने राज्य पुलिस तथा सीआरपीएफ के सक्रिय सहयोग से गत शनिवार को क्लब के कार्यालय और प्रबंधन पर कब्जा कर लिया।
उसने कहा, ‘‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया 17 जनवरी, 2022 को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा कश्मीर प्रेस क्लब को बंद किये जाने से अत्यंत दु:खी है।’’
गिल्ड ने कहा कि केपीसी के बंद होने के साथ क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पत्रकारीय संस्था को प्रभावी तरीके से समाप्त कर दिया गया है। यह ऐसे क्षेत्र में हुआ है जिसने किसी स्वतंत्र मीडिया के खिलाफ सरकार की भारी सख्ती देखी है।
कश्मीर प्रेस क्लब की स्थापना 2018 में की गयी थी और इसके 300 सदस्य हैं। यह क्षेत्र की सबसे बड़ी पत्रकार संस्था है।
गिल्ड के बयान के अनुसार, ‘‘क्षेत्र में मीडिया और सक्रिय सिविल सोसाइटी के लिए जगह धीरे-धीरे कम हो रही है। पत्रकारों को अक्सर आतंकवादी समूहों और सरकार से भी धमकियों का सामना करना पड़ता है।’’
उसने कहा, ‘‘उन पर भारी दंडनीय कानूनों के तहत मामले दर्ज किये जाते हैं और रिपोर्टिंग या संपादकीय लेखों के लिए सुरक्षा बल जब-तब उन्हें हिरासत में ले लेते हैं।’’
गिल्ड ने अज्ञात लोगों द्वारा ‘राइजिंग कश्मीर’ के संपादक शुजात बुखारी की नृशंस हत्या का भी जिक्र किया। उसने कश्मीर टाइम्स के दफ्तर सील किये जाने का भी जिक्र किया।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर वापस ले लिया था। घाटी स्थित पत्रकारों की सबसे बड़ी संस्था में पिछले हफ्ते की गुटबाजी के मद्देनजर प्रशासन ने यह कदम उठाया।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा, ‘‘पत्रकारों के विभिन्न समूहों के बीच असहमति और अप्रिय घटनाओं के बीच यह फैसला किया गया है कि श्रीनगर के पोलो व्यू स्थित कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर का आवंटन रद्द करके परिसर की भूमि और इस पर निर्मित भवन को एस्टेट विभाग को वापस कर दिया जाए।’’
भाषा वैभव नरेश
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