नई दिल्ली: ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) में ‘जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा जबरन नियंत्रण’ किए जाने की रविवार को निंदा की और इसे पुलिस की मदद से केंद्र शासित प्रदेश में प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने की प्रवृत्ति करार दिया.
गिल्ड ने एक कड़ा बयान जारी करके कहा कि सशस्त्र पुलिसकर्मियों की मदद से पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को जिस प्रकार घाटी के सबसे बड़े पत्रकार संघ केपीसी के कार्यालय एवं प्रबंधन पर ‘जबरन कब्जा’ किया, वह उसे देखकर वह स्तब्ध है.
गिल्ड ने कहा कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस किसी वारंट या कागजी कार्रवाई के बिना परिसर में घुसी और ‘इस तरह इस जबरन नियंत्रण की कार्रवाई में उसकी शर्मनाक मिलीभगत थी, जिसके तहत एक समूह के लोग क्लब के स्वयंभू प्रबंधक बन गए हैं.’
गिल्ड ने साथ ही कहा कि वह क्लब पर नियंत्रण से एक दिन पहले रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज द्वारा कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण को ‘स्थगित’ करने के मनमाने आदेश से भी उतना ही चिंतित है.
उसने ‘सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एक परिवार को दिखाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर केवल पोस्ट करने के कारण’ युवा पत्रकार सजाद गुल को गिरफ्तार किए जाने का भी जिक्र किया.
गिल्ड ने क्लब में ‘जबरन नियंत्रण’ से पहले की यथास्थिति तत्काल बहाल किए जाने की मांग की और नए प्रबंधन निकाय एवं कार्यकारी परिषद की नियुक्ति के लिए चुनाव कराए जाने का आह्वान किया.
बयान में कहा गया, ‘गिल्ड इस बात की स्वतंत्र जांच कराए जाने का अनुरोध करता है कि सशस्त्र बल क्लब परिसर में कैसे घुसे.’
गिल्ड के इस बयान से एक दिन पहले, पुलिसकर्मियों के साथ आए कुछ पत्रकार केपीसी पहुंचे और उसका ‘‘नया प्रबंधन’’ होने का दावा किया. ऐसा बताया जा रहा है कि ये पुलिसकर्मी मीडिया को बयान जारी करने वाले पत्रकारों में से एक के निजी सुरक्षा अधिकारी थे. पत्रकारों के इस समूह ने बयान जारी करके कहा कि ‘कुछ पत्रकार मंचों’ ने उन्हें नए पदाधिकारी चुना है, जबकि घाटी के नौ पत्रकार संघों ने इस दावे पर आपत्ति जताई है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और जम्मू -कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं ने इस कदम की निंदा की है.
कश्मीर प्रेस क्लब का पंजीकरण बहाल हो : पीसीआई
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने कश्मीर प्रेस क्लब में गुटीय विवाद पर रविवार को चिंता जताई. पीसीआई ने कश्मीर प्रेस क्लब का पंजीकरण बहाल करने और उसके पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से शुरू कराने की भी अपील की.
पीसीआई ने कहा, ‘भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती के बीच पत्रकारों के एक समूह के स्थानीय प्रशासन की मदद से कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) का प्रबंधन अपने हाथों में लेने की खबरें बेहद दुखद एवं चिंताजनक हैं. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.’
पीसीआई ने केपीसी परिसर में पुलिस की तैनाती पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘अवैध और निंदनीय’ करार दिया. जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा केपीसी का पंजीकरण स्थगित किए जाने के बाद शनिवार को कुछ पत्रकार पुलिसकर्मियों के साथ वहां पहुंचे थे. उन्होंने खुद के केपीसी का ‘नया प्रबंधन’ होने का दावा किया था.
हालांकि, कश्मीर के नौ पत्रकार संगठनों ने इस दावे को खारिज किया था. उन्होंने अंतरिम प्रबंधन पर स्थानीय प्रशासन की मदद से केपीसी पर जबरन नियंत्रण हासिल करने का आरोप भी लगाया था.
पीसीआई ने एक बयान जारी कर कहा, ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया श्रीनगर स्थित कश्मीर प्रेस क्लब में हुई घटनाओं को लेकर चिंतित है, जहां पदाधिकारियों के चुनाव के लिए मतदान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जान-बूझकर बाधित करने का प्रयास किया गया है. पीसीआई जम्मू-कश्मीर प्रशासन से मांग करता है कि केपीसी का पंजीकरण बहाल करते हुए उसके पदाधिकारियों के चुनाव की प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से कराने की अनुमति दी जाए.’