उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों से ठीक कुछ हफ्ते पहले मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफे की झड़ी लग जाना, भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है. ओबीसी नेताओं का भाजपा से अलग होना सार्वजनिक और संदेश के लिहाज से पार्टी के लिए काफी बुरा है. गैर-यादव ओबीसी वर्ग में इससे सपा की मौजूदगी मजबूत होगी. ये भाजपा के उन रणनीतिकारों के लिए सबक है जिन्होंने 2015-17 में इन दलबदलू नेताओं को दूसरी पार्टियों से भाजपा में शामिल करवाया.