scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थकोरोना का सुपर स्प्रेडर बन रहे अस्पताल, AIIMS RML समेत कई में सैकड़ों हेल्थ वर्कर कोविड पॉजिटिव

कोरोना का सुपर स्प्रेडर बन रहे अस्पताल, AIIMS RML समेत कई में सैकड़ों हेल्थ वर्कर कोविड पॉजिटिव

रिपोर्ट्स बताती हैं कि अस्पतालों में जिन मरीजों का कोरोना का इलाज चल रहा है वे किसी अन्य बीमारी का इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचे थे.

Text Size:

नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर का कहर देखने को मिल रहा है. देश की राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब दिल्ली के अस्पताल भी कोरोना के सुपर स्प्रेडर बनते जा रहे हैं. इसलिए विशेषज्ञ लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि जब भी अस्पताल जाएं तो सभी सावधानियां बरतें.

कोरोना सुपर स्प्रेडर का मतलब है तेजी से कोरोना फैलाने वाला.

रिपोर्ट्स बताती हैं कि अस्पतालों में जिन मरीजों का कोरोना का इलाज चल रहा है वे किसी अन्य बीमारी का इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचे थे. इसके अलावा डॉक्टर, नर्सेज समेत अस्पतालों का बाकी स्टाफ भी कोरोना की चपेट में आ रहा है.

तमाम बड़े अस्पतालों का स्टाफ कोरोना की चपेट में

दिल्ली के एम्स अस्पताल के करीब 550 लोग, लेडी हार्डिंग के 200 आरएमएल में करीब 150, सफदरजंग में 200, बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल में स्टाफ के करीब 100 लोग कोरोना संक्रमित हैं.

तमाम अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स बता रहे हैं कि हर रोज लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं. सफदरजंग अस्पताल में काम करने वाले डॉ संदीप मौर्य बताते हैं कि हर रोज स्टाफ के लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. वो बताते हैं कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर स्टाफ को होम आइसोलेशन में जाने के लिए कहा जा रहा है.

अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टर्स व अन्य स्टाफ वायरस से सबसे ज्यादा एक्सपोज हो रहे हैं. ऐसे में उनके पॉजिटिव होने का खतरा बढ़ जाता है. एलएनजेपी अस्पताल की डॉक्टर रितु सक्सेना बताती हैं कि ओपीडी में मरीज को देखने से पहले उसका कोरोना रैपिड टेस्ट किया जाता है लेकिन कई मरीज बिना लक्षण वाले होते हैं और उनका पता सिर्फ आरटी-पीसीआर टेस्ट से ही चल पाता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स और स्टाफ लगातार एक्सपोज हो जाता है.

उनका कहना है कि अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों को डॉक्टर को ऐसे ट्रीट करना चाहिए जैसे वह कोरोना का ही मरीज है.

वहीं लेडी हार्डिंग अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर शारदा बताते हैं, ‘हर रोज लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. अभी लोगों को होम आइसोलेशन में भेजा जा रहा है. कई डिपोर्ट्मेंट में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम होना शुरू हो चुका है. अभी नीट-पीजी की काउंसलिंग हो जाएगी तो फर्स्ट इयर के आने के बाद हमें थोड़ी राहत मिलेगी.’

सफदरजंग अस्पताल की डॉ ममता बताती हैं, ‘हम सब जानते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर अपने चरम पर है. सभी कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन करने के बाद भी बड़ी संख्या में हेल्थ वर्कर्स हर रोज कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. सीमित डॉक्टरों की संख्या में हालातों को काबू करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन नीट-पीजी कीं काउंसलिंग होने के बाद फर्स्ट ईयर के आने के बाद थोड़ी राहत मिलेगी.’

दूसरी बीमारी का इलाज कराने आए थे, हुए संक्रमित

अस्पतालों में जो मरीज दूसरी बिमारियों के लिए भर्ती थे वे अब कोरोना संक्रमित होकर कोरोना का भी इलाज करा रहे हैं. कल तक लोकनायक अस्पताल में कोरोना के 136 मरीज थे जिनमें से 130 मरीज ऐसे थे, जो किसी और बीमारी के लिए अस्पताल में एडमिट थे, लेकिन जांच में कोरोना पॉजिटिव भी निकले.

वहीं बीते सोमवार डीडीएमए ने जो रिपोर्ट जारी की थी, उसमें भी यह कहा गया था कि बीते पांच दिनों में 46 मौतों में से 21 मौतें ऐसे लोगों की हुई थी, जो अस्पताल में किसी और बीमारी का इलाज करवाने आए थे, उसके बाद कोरोना संक्रमित होने पर उनकी मौत हो गई है


यह भी पढ़ें- तीसरी लहर में कोविड उफान पर होने के बावजूद नहीं आ रहे ब्लैक फंगस के मामले, डॉक्टर्स ने बताई वजह


share & View comments