नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों के दौरान तनावपूर्ण रहे आपसी संबंधों की तल्खी को दूर करने की कोशिश करते हुए भारत और कनाडा ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के तीसरे कार्यकाल के तहत सुरक्षा, रक्षा और व्यापार संबंधों को बढ़ाने की एक योजना के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का फैसला किया है.
दिप्रिंट के साथ एक विशेष बातचीत में कनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने कहा कि बदलते भू-राजनीतिक माहौल में ‘बेहतर समन्वय’ के लिए ये दोनों देश ‘नई पहल’ कर रहे हैं.
सितंबर 2021 में, ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में एक ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल की शुरुआत की थी. बिसारिया ने कहा, ‘कनाडा में एक नई सरकार के साथ, हम इस नए साल में नई पहल की ओर देख रहे हैं. हम अपनी दो जी-20 अर्थव्यवस्थाओं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतंत्रों के बीच बेहतर समन्वय की ओर बढ़ने की उम्मीद करते हैं. हम भारत और कनाडा के बीच गहरे आर्थिक, सुरक्षा और रक्षा सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि रणनीतिक मोर्चे पर कनाडा द्वारा अगले कुछ महीनों में अपनी नयी इंडो-पैसिफिक नीति जारी करने की उम्मीद है, जिसके द्वारा इन दोनों देशों को एक वृहत्तर भू-राजनीतिक संरेखण (एलाइनमेंट) के मामले में और करीब लाने की उम्मीद है.
बिसारिया ने कहा, ‘दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र के डायनामिक्स पर लगभग एकसमान विचार ही साझा करते हैं. भारत कनाडा को हिंद-प्रशांत के अपने दृष्टिकोण के बारे में भी जानकारी देता रहता है, खासकर इस क्षेत्र में एक साथी लोकतंत्र के रूप में उसकी स्थिति को देखते हुए. कुल मिलाकर, दोनों पक्ष बड़े पैमाने पर राजनीतिक, रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर आपसी संमिलन (कन्वर्जेन्स) की ओर देख रहे हैं.’
इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत एक बहु-राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास, ‘सी ड्रैगन 22’ (जो वर्तमान में पनडुब्बी रोधी युद्ध पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रहा है) में भाग लेने के लिए अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कोरिया के साथ शामिल हुआ है.
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इस साल अंतरिम व्यापार समझौता होने की भी संभावना
द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के बारे में बात करते हुए बिसारिया ने यह भी कहा कि 2022 में भारत और कनाडा ‘एक अंतरिम व्यापार सौदे की दिशा में एक बड़ी प्रगति की उम्मीद कर रहे हैं’, जो अंततः हमें एक पूर्ण व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (कम्प्रेहैन्सिव इकनोमिक पार्टर्नशिप एग्रीमेंट- सीईपीए) की ओर ले जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘तकनीकी स्तर की वार्ता 2021 में शुरू हुई है. हमारे वाणिज्य मंत्रियों ने हाल ही में इस मुद्दे पर चर्चा की है और विशेषज्ञों के द्वारा जल्द ही एक औपचारिक बातचीत शुरू करने की उम्मीद है.’
भारत और कनाडा के बीच सीईपीए के लिए औपचारिक बातचीत साल 2010 में ही शुरू हुई थी लेकिन बाजार तक पहुंच (मार्किट एक्सेस) और व्यापर शुल्क (टैरिफ) में कमी के मुद्दों पर मतभेदों के कारण बातचीत अभी तक अनिर्णायक रही है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कनाडा और भारत के बीच दोतरफा व्यापार 2019 में 10.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में यह घटकर 8.7 बिलियन डॉलर रह गया.
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सुरक्षा और रक्षा सहयोग
एक शीर्ष-स्तरीय सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि ट्रूडो के पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान आपसी संबंधों में आये कठिन दौर का अनुभव करने के बाद नई दिल्ली का मानना है कि ट्रूडो प्रशासन के तीसरे कार्यकाल के तहत ओटावा भारत की ओर एक निर्णायक दिशा अपनाएगा.
फरवरी 2018 में कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो की भारत यात्रा को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अधिक महत्व नहीं दिया जाने के साथ ही दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था.
हालांकि इस सूत्र ने आगे कहा कि भारत में प्रतिबंधित संगठन, खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा बहुप्रचारित तथाकथित ‘पंजाब 2020 रेफरेंडम’ को ओटावा द्वारा मान्यता नहीं दिए जाने के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक तरह के रीसेट (एक नई शुरुआत) के लिए तैयार हैं.
पिछले नवंबर में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक तीन सदस्यीय टीम ने एसएफजे और अन्य खालिस्तान समर्थक समूहों के पैसे जुटाने के माध्यमों (फंडिंग रूट्स) की जांच के लिए कनाडा का दौरा किया था.
सूत्र ने कहा कि हालांकि एनआईए ने कनाडा सरकार से एसएफजे को एक आतंकवादी संगठन घोषित करने का आग्रह किया है लेकिन वह रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) के साथ ‘कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी’ (एक्शनेबल इंटेलिजेंस) साझा करने के लिए भी सहमत हो गई है.
सूत्र ने यह भी बताया कि एनआईए और कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी इनफार्मेशन नेटवर्क (आरसीएमपी का एक शाखा जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से संबंधित है) ने उस देश (कनाडा) में मौजूद खालिस्तान समर्थक समूहों के खिलाफ एक नियमित संवाद तंत्र स्थापित करने का फैसला किया है.
इस सूत्र ने कहा कि इसके साथ ही संचालन स्तर पर दोनों के बीच अधिक समन्वय होने जा रहा है. सूत्र का यह भी कहना था कि कनाडा के ‘फाइव आईज गठबंधन’ का हिस्सा होने के नाते यह न केवल खालिस्तान समर्थक समूहों पर बल्कि पाकिस्तान स्थित आतंकी नेटवर्क के बारे में भी खुफिया जानकारी जुटाने में भारत की मदद करेगा.
सूत्र ने कहा, ‘भारत की मुख्य चिंता खालिस्तानी विचार से सहानुभूति रखने वालों के प्रति है. कनाडा सरकार से उन्हें अब तक जो भी अतिरिक्त उदारता मिलती रही है, उसमें अब बदलाव आ रहा है. कनाडा को इन तत्वों को प्रोत्साहित न करने की आवश्यकता को समझने के लिए मनाया जा रहा है और साथ ही उसे यह भी बताया जा रहा है कि कैसे यह भारत के लिए भी एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि ये तत्व पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं.‘
इस बारे में भी बातचीत चल रही है कि क्या कनाडा क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग अथवा क्वाड, जिसमें वर्तमान में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, का हिस्सा बन सकता है.
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