नई दिल्ली: विशेषज्ञों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध का हालिया मामला किसी अति विशिष्ट व्यक्ति (वीवीआईपी) की सुरक्षा के लिये जिम्मेदार एजेंसियों के बीच ‘समन्वय के अभाव का अनूठा मामला’ है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने के लिये कानूनी प्रावधान होने चाहिए.
एनएसजी के पूर्व महानिदेशक सुदीप लखटकिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘हमारे देश के जैसे संघीय ढांचे में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का पूरा ढांचा, राज्य पुलिस और एसपीजी के बीच आपसी विश्वास और समन्वय के मजबूत बंधन पर टिका है. राज्य पुलिस प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने को लेकर पूरी तरह जिम्मेदार होती है.’
गौरतलब है कि पांच जनवरी को पंजाब के फिरोजपुर में कृषि प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई नाकाबंदी के चलते प्रधानमंत्री का काफिला 15-20 मिनट तक एक फ्लाइओवर पर फंसा रहा था, जिसके बाद विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) ने एक वायुसेना अड्डे की ओर लौटने का निर्णय लिया.
वीआईपी सुरक्षा में काम कर रहे अधिकारियों और ऐसी सुरक्षा व्यवस्था में काम कर चुके अथवा इसकी जानकारी रखने वाले अधिकारियों को लगता है कि यह एसपीजी, राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच ‘तालमेल के अभाव का एक अनूठा मामला है.’
उन्होंने कहा कि एसपीजी अधिनियम में गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं है.
केंद्र और पंजाब सरकार की एक-एक टीम इस मामले की जांच कर रही हैं. इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘बड़ी सुरक्षा चूक’ करार दिया है.
लखटकिया ने कहा, ‘ब्लू बुक (जिसके तहत एसपीजी काम करती है) निर्धारित करती है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा संबंधित राज्य सरकार / केंद्रशासित प्रदेश की जिम्मेदारी है.’
उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि प्रधानमंत्री के काफिले को बाधित किया गया और इसे निर्धारित कार्यक्रम को पूरा किए बिना वापस लौटना पड़ा, प्रथम दृष्टया बड़ी सुरक्षा चिंता का विषय है.
एसपीजी में सेवाएं दे चुके 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी लखटकिया ने कहा, ‘कुछ गंभीर गलती हुई और राज्य सरकार तथा गृह मंत्रालय दोनों परिस्थितियों तथा कारणों का पता लगा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्रालय प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान लापरवाही आदि के लिए कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में संबंधित राज्य / केंद्रशासित प्रदेश को एक परामर्श भेजता है, जिसमें राज्य सरकार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जाती है. यदि कोई एसपीजी कर्मी लापरवाही के लिये जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जाती है और उसे उसके मूल संगठन में वापस भेज दिया जाता है.’
करीब तीन दशक तक गुप्तचर ब्यूरो में काम कर चुके सिक्किम पुलिस के पूर्व महानिदेशक अविनाश मोहनाने का मानना है कि उस दिन दो चूक हुई थीं. पहली चूक उस समय हुई जब प्रधानमंत्री को सड़क मार्ग के जरिये बठिंडा से फिरोजपुर तक 100 किमी से अधिक की दूरी पर ले जाने का निर्णय लिया गया था क्योंकि हेलीकॉप्टर यात्रा संभव नहीं थी. दूसरी चूक उस फ्लाईओवर से गुजरना था जिसे संभवत: दोनों तरफ से प्रदर्शनकारियों ने बंद कर रखा था.
एक अन्य पूर्व एसपीजी अधिकारी ने कहा कि इस विशिष्ट इकाई को ‘इस बात पर ध्यान देना चाहिए था कि प्रधानमंत्री के दौरे के खिलाफ कुछ किसान समूहों में नाराजगी है और इसलिए 100 किमी से अधिक की सड़क यात्रा केवल पंजाब पुलिस की प्रतिबद्धता के बाद ही की जानी चाहिए थी. ‘
अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘ऐसा कभी नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री इस तरह कहीं फंस गए हों. और उन्हें फ्लाईओवर जैसे ऊंचे रास्ते पर रुकना पड़ा हो, जोकि पाकिस्तान सीमा के निकट हो.’
एसपीजी में काम कर चुके उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान एसपीजी, खुफिया एजेंसियों और राज्य पुलिस के बीच समन्वय सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.’
उन्होंने जोर देकर कहा कि हितधारकों के बीच संवाद में किसी तरह की चूक नहीं होनी चाहिये.
वहीं, अधिकारियों ने बताया कि 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश के नांदयाल में यात्रा कर रहे थे और कुछ नक्सलियों ने सड़क पर आकर उनके काफिले को रोक दिया.
एसपीजी के एक अधिकारी ने बताया, ‘तत्कालीन प्रधानमंत्री को सुरक्षित रूप से पास के एक गेस्ट हाउस में ले जाया गया था, लेकिन इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया गया और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी सिफारिशें की गईं.’
एसपीजी के अधिकारियों ने उस घटना का भी जिक्र किया जब केरल के त्रिशूर के रास्ते में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफिले की एक निजी कार से टक्कर हो गई थी. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चूक के लिए कार्रवाई की गई.
अधिकारियों ने बताया कि एक अन्य मामले में एक पूर्व प्रधानमंत्री के विदेश दौरे के दौरान एक एसपीजी अधिकारी का आचरण गैर-जिम्मेदार पाया गया, जिसके बाद उसे तुरंत वापस भेज दिया गया.
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