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Friday, 22 November, 2024
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कोवैक्सीन लगवाने के बाद बच्चों को पैरासिटेमॉल या दर्द की गोलियां लेने की जरूरत नहीं: भारत बायोटेक

कोवैक्सीन निर्माताओं ने कहा कि सामने आने वाले ज्यादातर साइड-इफेक्ट्स हल्के होते हैं, जो 1-2 दिन में ठीक हो जाते हैं और उनमें दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती. अभी तक, कोवैक्सीन अकेली वैक्सीन है जो भारत में 15-18 वर्ष के किशोरों के लिए उपलब्ध है.

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नई दिल्ली: देसी कोविड-19 टीके कोवैक्सीन के निर्माता ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कोवैक्सीन टीका लगवाने वाले किशोरों को बुखार या बदन दर्द जैसे संभावित साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए पैरासिटेमॉल या दर्द निवारक गोलियां लेने की जरूरत नहीं है.

पैरासिटेमॉल काउंटर पर खुली मिलने वाली एक दवा है, जिसे सूजन कम करने या बुखार उतारने के लिए लिया जाता है. देश में पिछले साल कोविड टीकाकरण शुरू होने के बाद से इसे बुखार या बदन दर्द जैसे साइड इफेक्ट्स के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है.

बुधवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में भारत बायोटेक ने कहा, ‘हमें फीडबैक मिला है कि कुछ टीकाकरण केंद्र कोवैक्सीन के साथ बच्चों के लिए 500 एमजी पैरासिटेमॉल की तीन गोलियां लेने के लिए कह रहे हैं. कोवैक्सीन का टीका लगाए जाने के बाद पैरासिटेमॉल या दर्द निवारक गोलियां लेने की कोई जरूरत नहीं है’.

कंपनी ने दावा किया कि सामने आने वाले अधिकतर साइड इफेक्ट्स मामूली रहे हैं, जो ‘1-2 दिन के अंदर ठीक हो जाते हैं और इनके लिए दवाओं की जरूरत नहीं होती’.

उसने ये भी कहा कि दवाओं के लिए डॉक्टरी परामर्श की जरूरत होती है और कुछ दूसरे कोविड-19 टीकों के लिए पैरासिटेमॉल की सिफारिश की गई थी लेकिन कोवैक्सीन के साथ ऐसा नहीं है.

लेकिन एक बाल रोग विशेषज्ञ और दिल्ली चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘पैरासिटेमॉल दशकों से टीकों के साथ ली जाती रही है क्योंकि टीका लगने के बाद बच्चों को बुखार हो सकता है. हम इसे बच्चों को देने के लिए तभी कहते हैं, अगर उन्हें बुखार हो जाए या असहनीय दर्द उठने लगे’.

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे विचार में वो ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि पैरासिटेमॉल के नियमित या अंधाधुंध इस्तेमाल को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए’.


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बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल

भारत सरकार ने 15 से 18 आयु वर्ग के किशोरों के लिए 3 जनवरी से टीकाकरण शुरू कर दिया. अभी तक, इस आयु वर्ग में आने वालों के लिए भारत में केवल कोवैक्सीन टीका ही उपलब्ध है.

बच्चों के लिए वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स अभी चल ही रहे हैं. 30 दिसंबर को कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान डाला था, जिसमें कहा गया था कि 2 से 18 वर्ष के बीच वालों के, पहले और दूसरे चरण के ट्रायल्स में ‘मज़बूत सुरक्षा और प्रतिरक्षाजनकता’ देखने को मिली थी.

कंपनी ने अपने बयान में दावा किया था कि ये ट्रायल जिनका अभी प्रकाशन और पियर रिव्यू होना है, 535 पात्र प्रतिभागियों पर किया गया था, जिनमें से 374 में टीका लगने के बाद मामूली से मध्यम लक्षण देखने को मिले थे, जो अधिकतर एक दिन के अंदर ठीक कर लिए गए थे.

कंपनी का दावा था कि कोई गंभीर विपरीत प्रभाव देखने में नहीं आए और उसने आगे कहा कि इंजेक्शन की जगह पर दर्द सबसे ज्यादा बताया जाने वाला साइड इफेक्ट था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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