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Friday, 22 November, 2024
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इकोनॉमिक रिकवरी के लिए Omicron एक चुनौती है, भारत ने दूसरी लहर से सीख ले ली हैः अनुप्रिया पटेल

भारत और यूएई के बीच चल रही व्यापार वार्त्ता में हुई प्रगति के बारे में बोलते हुए पटेल ने कहा, ‘दोनों पक्षों की ओर से उच्चतम स्तर पर, व्यापार और आर्थिक रिश्ते बढ़ाने के लिए एक मज़बूत प्रतिबद्धता है, और सीईपीए इसी आपसी प्रतिबद्धता का सबूत है’.

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नई दिल्ली: कोविड-19 का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन महामारी से उबर रही भारत की आर्थिक रिकवरी के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है, भले ही देश अब चुनौतियों के सामने बेहतर ढंग से तैयार हो. ऐसा मानना है केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल का.

दिप्रिंट के साथ एक ईमेल इंटरव्यू में, मंत्री ने एक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की, भारत और संयुक्त अरब अमीरात की आपसी प्रतिबद्धता पर भी बात की, और विश्वास व्यक्त किया कि भारत का कृषि निर्यात 46-47 बिलियन डॉलर, और माल निर्यात 400 बिलियन डॉलर पहुंच जाएगा.

अपना दल (एस) अध्यक्ष और मिर्जापुर सांसद पटेल ने कहा, ‘उत्साहित बाजार भावना, टीकाकरण की तेज़ कवरेज, मज़बूत विदेशी मांग, और सरकार तथा आरबीआई की ओर से निरंतर नीतिगत समर्थन के सहारे, भारत की आर्थिक रिकवरी वित्त वर्ष की बाक़ी बची तिमाही में, और ज़्यादा मज़बूती पकड़ सकती है. लेकिन, नया ओमिक्रॉन वेरिएंट निरंतर रिकवरी के लिए एक चुनौती बन गया है.’

लेकिन, उन्होंने आगे कहा कि दूसरी लहर से सीख लेने के बाद, इस मरतबा हमारी अर्थव्यवस्था बेहतर ढंग से तैयार है.

पिछले नवंबर में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ‘2021-22 की दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर धीमी होकर 8.4 प्रतिशत पर आ गई थी, लेकिन अर्थव्यवस्था कोविड-पूर्व स्तर से आगे निकल गई है. इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में, जीडीपी विकास दर 20.1 प्रतिशत रही. अप्रैल-जून 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था 24.4 प्रतिशत सिकुड़ गई थी.

ये पूछे जाने पर कि किस चीज़ ने आर्थिक रिकवरी को आगे बढ़ाया है, पटेल ने कहा: ‘महामारी से भारत की रिकवरी के पीछे, सेवा क्षेत्र की बहाली, मैन्युफेक्चरिंग में मुकम्मल रिकवरी, और कृषि क्षेत्रों में टिकाऊ विकास का योगदान है.

उन्होंने आगे कहा कि रिकवरी से संकेत मिलता है, कि निवेश चक्र फिर से चल पड़ा है, और ‘टीकाकरण की तेज़ी से बढ़ती कवरेज, और कुशल आर्थिक प्रबंधन ने’ विकास के मैक्रो और माइक्रो ड्राइवरों को सक्रिय कर दिया है.

भारत, UAE व्यापार समझौता खोलेगा ‘महत्वपूर्ण द्वार’

भारत और यूएई एक क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) को अंतिम रूप देने की कगार पर हैं, जो एक व्यापक आधारभूत मुक्त व्यापाक समझौता है, ऐसे में पटेल ने कहा कि यूएई के साथ आर्थिक और वाणिज्यिक बातचीत बहुत ख़ास है’.

भारत ने जुलाई 2021 में यूएई के साथ, एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत फिर से शुरू की थी, जो 2008 में रुक गई थी. पिछले महीने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, कि दोनों देशों के बीच बातचीत एक ‘उन्नत’ स्तर पर पहुंच गई हैं. अगर इस पर दस्तख़त हो जाते हैं, तो एक दशक से अधिक में भारत की ओर से साइन किया जाने वाला ये पहला सीईपीए होगा. भारत फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, यूके, इज़राइल, कनाडा, और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे देशों के साथ भी, आर्थिक समझौतों पर बातचीत कर रहा है.

भारत और यूएई के बीच चल रही व्यापार वार्त्ता में हुई प्रगति के बारे में बोलते हुए पटेल ने कहा, ‘दोनों पक्षों की ओर से उच्चतम स्तर पर, व्यापार और आर्थिक रिश्ते बढ़ाने के लिए एक मज़बूत प्रतिबद्धता है, और सीईपीए इसी आपसी प्रतिबद्धता का सबूत है’.

उन्होंने आगे कहा कि समझौते से दोनों देशों में रोज़गार बढ़ेगा, और जीवन स्तर में सुधार होगा, तथा साथ ही इसका भारत में बहु-क्षेत्रीय आर्थिक वैल्यू चेन्स के विकास में भी योगदान होगा, ख़ासकर बिग डेटा, रोबोटिक्स, आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस आदि उभरते क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे.

पटेल ने कहा, ‘सीईपीए से दोनों देश एक व्यापक क्षेत्र में निर्यात के लिए महत्वपूर्ण द्वार खोलने में सक्षम हो पाएंगे. मसलन, यूएई को अपने निर्यातों में काफी हद तक बदलाव करके, उन्हें मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका के बाज़ारों में निर्यात किया जा सकता है’.

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-2020 में भारत और यूएई के बीच कुल व्यापार 59.1 बिलियन डॉलर का था, लेकिन 2020-21 में महामारी के दौरान ये घटकर 43 बिलियन रह गया. उसके बाद भी अमेरिका और चीन के बाद, यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है.

भारत से 46-47 बिलियन डॉलर के कृषि निर्यात की संभावना

मंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष में भारत कृषि निर्यातों में उच्चतम स्तर को छूने की ओर अग्रसर है, जिसके राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति 2018 में परिकल्पित, 60 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से क़रीब 20 बिलियन डॉलर कम रहने की संभावना है.

पटेल के अनुसार इस वित्त वर्ष में कृषि निर्यातों के 46-47 बिलियन डॉलर पहुंच जाने की अपेक्षा है, ये देखते हुए कि वो पहले ही अभी तक, 41.25 बिलियन डॉलर पहुंच चुके हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस मुश्किल समय में भारत को खाद्य पदार्थों का एक भरोसेमंद सप्लायर माना गया है. हालांकि हमारे निर्यातक कंटेनर्स की कमी, माल-भाड़े की ऊंची दरों, और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी दूसरी चुनौतियों आदि की समस्याओं से जूझ रहे हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि 2022-23 में भारत संभवत: 60 बिलियन डॉलर के कृषि निर्यात का लक्ष्य हासिल कर लेगा.

माल निर्यात का उच्चतम स्तर

सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में दिखाया गया, कि भारत 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के माल निर्यात का लक्ष्य पूरा कर लेगा, और वो शुरू के नौ महीनों में पहले ही 300 बिलियन डॉलर हासिल कर चुका है.

पटेल आश्वस्त हैं कि भारत अनुमानित लक्ष्य तक पहुंच जाएगा, उन्होंने कहा, ‘कड़ी निगरानी, व्यापार मिशंस, कमोडिटी समूहों, और निर्यात संवर्धन परिषदों तथा निर्यात संवर्धन उपायों के समर्थन से, भारत इस साल 400 बिलियन डॉलर निर्यात का लक्ष्य पूरा कर लेगा’.

ये पूछने पर कि 2022-23 के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया गया है, मंत्री ने आगे कहा: ‘हालांकि अभी तक कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया है, लेकिन अपेक्षा की जा रही है कि व्यापार में वृद्धि के निरंतर प्रयासों से, आगामी वित्त वर्ष में भी भारत को एक ज़्यादा मज़बूत बुनियादी आधार मिल जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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