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Monday, 4 November, 2024
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गाय और गोबरधन की बात करना कुछ लोगों के लिए गुनाह, लेकिन हमारे लिए तो माता है: पीएम मोदी

पशुधन की महत्ता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब गांव के घर-आंगन में मवेशियों के झुंड ही संपन्नता की पहचान थे और इसे पशुधन कहा जाता था.

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वाराणसी (उत्तर प्रदेश): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में गाय और गोबरधन की बात करने को ‘कुछ लोगों’ ने ‘गुनाह’ बना दिया है और ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि देश के आठ करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है, जो ‘हमारे लिए पूजनीय’ है.

प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में गुजरात के बनासकांठा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की बनास डेयरी सहित 2,095 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में किसी का नाम लिए बगैर यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को सिर्फ जाति और मजहब के चश्मे से देखने वाले लोगों के ‘सिलेबस (पाठ्यक्रम)’ में केवल माफियावाद और परिवारवाद ही शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, हमारे लिए गाय माता है, पूजनीय है. गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि देश के आठ करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है.’

मोदी ने कहा इन्हीं आठ करोड़ परिवारों की मेहनत से आज भारत हर साल लगभग 8.5 लाख करोड़ रुपये का दूध उत्पादन करता है.

उन्होंने कहा, ‘भारत में जितना गेहूं और चावल का उत्पादन होता है, उसकी कीमत से भी कहीं ज्यादा इस दूध की कीमत है. इसलिए भारत के डेयरी क्षेत्र को मजबूत करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. इसी कड़ी में आज यहां बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है.’

पशुधन की महत्ता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब गांव के घर-आंगन में मवेशियों के झुंड ही संपन्नता की पहचान थे और इसे पशुधन कहा जाता था.

उन्होंने कहा, ‘किसके दरवाजे पर कितने खूंटे गड़े हैं, इसको लेकर स्पर्धा रहती थी. हमारे शास्त्रों में भी कामना की गई है कि गाय हमारे चारों ओर रहे और हम गायों के बीच निवास करें. यह क्षेत्र हमारे यहां रोजगार का भी हमेशा से बहुत बड़ा माध्यम रहा है लेकिन बहुत लंबे समय तक इस क्षेत्र को जो समर्थन मिलना चाहिए था वह पहले की सरकारों में नहीं मिला.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब केंद्र सरकार देश भर में इस स्थिति को बदल रही है और इसी क्रम में कामधेनु आयोग का गठन किया गया है और डेयरी क्षेत्र के उन्नयन के लिए एक कोष बनाया गया है तथा बहुत बड़ा अभियान चलाकर लाखों पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से भी जोड़ा गया है.


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उन्होंने कहा, ‘इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि छह-सात वर्ष पहले की तुलना में दूध उत्पादन लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है. आज भारत दुनिया का लगभग 22 प्रतिशत दूध उत्पादित करता है. मुझे खुशी है कि उत्तर प्रदेश आज देश का सबसे अधिक दूध उत्पादक राज्य तो है ही, डेयरी क्षेत्र के विस्तार में भी वह बहुत आगे है. मेरा अटूट विश्वास है कि देश का डेयरी क्षेत्र श्वेत क्रांति में नयी ऊर्जा और किसानों की स्थिति बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है.’

प्रधानमंत्री ने खेती के कुदरती तरीकों को फिर से अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि एक समय था जब भारत में प्राकृतिक तरीके से खेती होती थी लेकिन समय के साथ प्राकृतिक खेती का दायरा सिमट गया और उस पर रासायनिक खेती हावी होती गई. धरती मां के कायाकल्प के लिए, हमारी मिट्टी की सुरक्षा के लिए और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अब हमें एक बार फिर प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ना ही होगा.’
प्राकृतिक खेती को समय की मांग करार देते हुए उन्होंने किसानों से इसे फिर से अपनाने का आह्वान किया और स्टार्ट अप क्षेत्र और नौजवानों से कहा कि वह प्राकृतिक खेती में व्याप्त अनंत संभावनाओं का पूरा फायदा उठाएं.

मोदी ने कहा कि ‘डबल इंजन’ की सरकार पूरी ईमानदारी और शक्ति से किसानों और पशुपालकों का साथ दे रही है.

उन्होंने कहा, ‘आज यहां बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है, वह भी सरकार और सहकार की इसी भागीदारी का प्रमाण है. बनास डेयरी संयंत्र आसपास के जिलों के भी लाखों किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. यह बनारस के रस को और बढ़ा देगा.’

विभिन्न विकास परियोजनाओं व कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा वह जब काशी और उत्तर प्रदेश के विकास में ‘डबल इंजन’ की ‘डबल शक्ति और डबल विकास’ की बात करते हैं तो कुछ लोगों को बहुत कष्ट होता है.

उन्होंने कहा, ‘यह वे लोग हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति को सिर्फ और सिर्फ जाति पंथ, मत और मजहब के चश्मे से ही देखा है. इन लोगों ने कभी नहीं चाहा कि उत्तर प्रदेश का विकास हो. स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पानी, बिजली, गरीबों के घर, गैस कनेक्शन, शौचालय को तो वह विकास मानते ही नहीं हैं.’

आम तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार के लिए ‘डबल इंजन’ शब्द का प्रयोग करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सब का प्रयास की यह भाषा भी उनके सिलेबस में नहीं है. उनके सिलेबस में है माफियावाद, परिवारवाद, घरों और जमीनों पर अवैध कब्जा. पहले की सरकारों के समय उत्तर प्रदेश के लोगों को जो मिला और आज हमारी सरकार से जो मिल रहा है, उसका फर्क साफ है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में विरासत को भी आगे बढ़ा रही है और साथ ही राज्य का विकास भी कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन सिर्फ अपना स्वार्थ सोचने वाले इन लोगों को उत्तर प्रदेश का विकास पसंद नहीं आ रहा है. हालात तो यह है कि इन लोगों को पूर्वांचल के विकास से, बाबा (विश्वनाथ) के काम से, विश्वनाथ धाम के काम से भी आपत्ति होने लगी है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सूबे को दशकों पीछे धकेलने वाले इन लोगों की आने वाले दिनों में नाराजगी अभी और बढ़ेगी.

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह पूरे उत्तर प्रदेश के लोग डबल इंजन की सरकार के साथ डटकर खड़े हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं और जैसे-जैसे आशीर्वाद बढ़ता जाता है, उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचेगा.’

उन्होंने कहा कि ‘डबल इंजन’ की सरकार उत्तर प्रदेश के विकास के लिए दिन-रात ऐसी ही मेहनत करती रहेगी और विकास के नए रिकॉर्ड बनाती रहेगी.


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