नई दिल्ली: ओडिशा के भुवनेश्वर में चल रहे कलिंग साहित्य महोत्सव में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें से एक विषया था- हाशिया भी मुख्यधारा: समय, समाज और समष्टि.
इस विषय पर चर्चा करने के लिए कई स्पीकर मंच पर मौजूद थे जिनमें बालेंदु द्विवेदी, श्री राम शर्मा, रमा पांडे, तारो सिंदिक और मनोरंजन ब्यापरी शामिल थे. इस सत्र में हाशिये के लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने पर चर्चा हुई.
सत्र में लेखिका रमा पांडे की किताब ‘लल्लन मिस’ पर चर्चा हुई. रमा पांडे ने अपनी किताब में ट्रांसजेंडर्स की पीड़ा को बताया है. रमा पांडे किन्नरों के खिलाफ होने वाले अन्याय पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘आप गूंगा बच्चा पाल लेते हों, अंधा बच्चा पाल लेते हो, इन लोगों का क्या कसूर है जो पैदा होते ही कूड़े के ढेर में फेंक आते हो?’
‘इनका क्या कसूर है कि इनके मरने पर इन्हें चप्पल मारकर ले जाया जाता है और रोया जाता है कि ऐसा जन्म फिर मत देना. क्यों? हम कौन हैं उन्हें हाशिये पर डालने वाले?’
मुख्यधारा पर सवाल उठाते हुए रमा पांडे कहती हैं, ‘वो क्यों नहीं मुख्यधारा हैं? वो कबसे हाशिये पर चले गए? चलिए मैं आज से ये हाशिया बदलती हूं. मेरा हाशिया ये कहता है कि जो हाशिये के इस तरफ लिखा जाता है वही मुख्यधारा है.’
अपनी बात खत्म करते हुए उन्होंने कहा कि हाशिये, हाशिया है ही नहीं. आपको हाशिये को सलाम करना होगा. जिसे भी हाशिये के लोग कहते हैं, चाहे व दलित है, शोषित है, वह मुख्यधारा है.
हाशिये के लोगों को कैसे देखता है मीडिया
मीडिया से जुड़े श्री राम शर्मा ने हाशिये के लोगों पर बात करते हुए कहा कि यह सब बंटवारा मध्यकाल में हुआ. साहित्य के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं कि जब भी हम उस समय की रचनाएं पढ़ते हैं तो कभी हमारे मन में नहीं आया कि वह किस जाति के हैं. रसखान को लेकर हम नहीं सोचते वह किस जाति के हैं.
मीडिया के बारे में बात करते हुए राम शर्मा कहते हैं, ‘आज-कल मीडिया में जो माहौल है मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. सोशल मीडिया लोगों के लिए एक सशक्त माध्यम बनकर आया है जिसमें हर वर्ग के लोग अपने दिल की बात लिखते हैं. हमें काम करते रहना है.’
साहित्योत्सव का उद्घाटन ओडिशा के पर्यटन मंत्री ज्योति प्रकाश पाणिगग्रही, पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ ओड़िया साहित्याकार सीताकांत महापात्र, भारत में नेपाल के राजदूत रामप्रसाद सुबेदी, केएलफ के प्रबंध निदेशक रश्मि रंजन परिदा ने किया.
इस साहित्योत्सव में साहित्य, सिनेमा, मीडिया और राजनीति जगत से जुड़े 300 स्पीकर हिस्सा ले रहे हैं. कलिंग साहित्य महोत्सव का यह आठवां संस्करण है. कार्यक्रम के आयोजक रश्मि रंजन ने कहा कि इन आठ सालों में कलिंग साहित्य महोत्सव ने कई अहम पड़ाव पार किए हैं. उन्होंने बताया कि साहित्योत्सव को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सहयोग मिला है.
हिंदी के वरिष्ठ कवि अरुण कमल तथा महिला लेखिकाओं में प्रसिद्ध अभिनेत्री दिव्या दत्ता को कलिंग साहित्य अवार्ड से सम्मानित किया गया.
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