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Saturday, 21 December, 2024
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39% भारतीयों ने दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए रिश्वत दी: सर्वे

रिश्वत देने वालों में से, 32 प्रतिशत ने इसे 'स्वयं या किसी के लिए प्रवेश/बिस्तर/वेंटीलेटर/दवाएं प्राप्त करने' के लिए भुगतान किया.

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नई दिल्ली: लोकल सर्किल के एक नए सर्वेक्षण में पाया गया है कि दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में कोविड -19 का इलाज कराने वाले पांच में से दो भारतीयों को रिश्वत देनी पड़ी.

गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के अवसर पर जारी किए गए सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ कि रिश्वत देने वालों में से 82 फीसदी ने कहा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती या बिस्तर या वेंटिलेटर या दवाएं लेने के लिए ऐसा करना पड़ा.

सर्वेक्षण को भारत के 317 जिलों में फैले नागरिकों से 16,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं. उत्तरदाताओं में 68 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 32 प्रतिशत महिलाएं थीं. कुल प्रतिभागियों में से 42 प्रतिशत टियर 1 कस्बों से, 32 प्रतिशत टियर 2 कस्बों से और 26 प्रतिशत टियर 3 और 4 कस्बों और ग्रामीण स्थानों से थे.

यह पूछे जाने पर कि ‘यदि आपने या परिवार के किसी सदस्य ने कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में रिश्वत दी, तो वह किस लिए दी थी? 8,970 प्रतिक्रियाओं में से 61 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि उन्होंने ‘भुगतान नहीं किया’ एक अस्पताल में कोविड से संबंधित इलाज के लिए रिश्वत दी.’

39% को अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए रिश्वत देनी पड़ी

हालांकि, अध्ययन में कहा गया है कि जिन उत्तरदाताओं ने अस्पताल में कोविड से संबंधित उपचार कराया, उनमें से 39 प्रतिशत ने रिश्वत देने की बात स्वीकार की.  32 प्रतिशत ने इसे ‘स्वयं या किसी के लिए प्रवेश / बिस्तर / वेंटिलेटर / दवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान किया’, 4 प्रतिशत ने किसी चीज़ के बारे में जानकारी प्राप्त करने या आईसीयू कक्ष में किसी से मिलने के लिए रिश्वत का भुगतान किया, और 3 प्रतिशत ने ‘बिल मूल्य को कम करने या समय पर बीमा प्रसंस्करण’ के लिए भुगतान किया.


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दूसरी लहर के दौरान इलाज के लिए अस्पताल में रिश्वत का भुगतान करने वाले ‘सबसेट’ की और जांच करते हुए, सर्वेक्षण में पाया गया कि 82 प्रतिशत ने प्रवेश या बिस्तर या वेंटिलेटर या दवाएं लेने के लिए भुगतान किया, 9 प्रतिशत ने बिल राशि को कम करने के लिए भुगतान किया, जबकि अन्य 9 प्रतिशत ने सूचना प्राप्त करने या आईसीयू में किसी से मिलने के लिए ऐसा किया.

अध्ययन से यह भी पता चला है कि उस समय अस्पताल में इलाज के लिए रिश्वत देने वालों में से 7,249 प्रतिक्रियाओं में से 27 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन के कर्मचारियों को भुगतान किया, अन्य 27 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अन्य अस्पताल कर्मचारियों को भुगतान किया और 28 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने वार्ड बॉय को इसका भुगतान किया. नौ प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने इसे एक ‘सुविधाकर्ता’ को भुगतान किया, जैसे कि एक स्थानीय राजनेता या नेता, सरकारी कर्मचारी, बिचौलिए, जबकि अन्य 9 प्रतिशत ने इसे ‘फार्मेसी या केमिस्ट’ को भुगतान किया.

सर्वेक्षण में दूसरी कोविड-19 लहर के दौरान कालाबाजारी पर मंच के पहले के निष्कर्षों का भी उल्लेख किया गया, जिसमें पाया गया कि आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए 13% नागरिकों से अधिक शुल्क लिया गया था, जबकि 19% लोगों ने कोविड से संबंधित दवाएं जैसे टोसीलिज़ुमैब, रेमडेसिविर, फैबीफ्लू आदि पर एमआरपी से अधिक शुल्क लिया गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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