नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नागालैंड इकाई ने सूबे के मोन ज़िले में नागरिकों की हत्याओं को ‘नर संहार और युद्ध अपराध’ क़रार दिया है. पार्टी ने राज्य से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा) को हटाए जाने की भी मांग की है.
शनिवार को सेना और असम राइफल्स के सुरक्षा कर्मियों ने एक कार्रवाई के दौरान छह नागरिकों को मार डाला था. यह कार्रवाई मोन में एनएससीएन (के) की गतिविधियों के बारे में मिली खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी. बाद में उसी शाम एक भीड़ ने बलों पर हमला कर दिया जिसके नतीजे में एक सैनिक की मौत हो गई और सुरक्षा कर्मियों की ओर से ‘जवाबी गोलीबारी’ में कम से कम सात नागरिकों की जान चली गई. अगले दिन 5 दिसंबर को एक और नागरिक को मार डाला गया.
सोमवार को दिप्रिंट से बात करते हुए नागालैंड बीजेपी प्रमुख तेमजिन इमना अलॉन्ग ने, जो राज्य के आदिवासी मामलों के मंत्री भी हैं, कहा कि 14 नागरिकों की ‘हत्या का कोई औचित्य नहीं था’. बीजेपी के नागालैंड में 12 विधायक हैं और वो नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) से गठबंधन के साथ सरकार का हिस्सा है, जिसके 60-सदस्यीय असेंबली में 34 विधायक हैं.
अलॉन्ग ने कहा, ‘बेगुनाह लोग काम के बाद लौट रहे थे और उनके पास कोई हथियार नहीं थे’. उन्होंने आगे कहा, ‘गोलियां चलाने से पहले सेना ने सही जानकारी नहीं जुटाई. ये शांति के समय में युद्ध उपराधों के समान है और इसे नरसंहार भी कहा जा सकता है’.
उन्होंने ये भी कहा कि नागालैंड के लोग विद्रोह का एक राजनीतिक समाधान चाहते हैं और केंद्र सरकार को अब राज्य से आफस्पा को हटा लेना चाहिए.
अलॉन्ग ने कहा, ‘आफस्पा की वजह से बेगुनाह लोगों को परेशान किया जा रहा है. राज्य में लोगों की आवाज़ को दबाया जा रहा है. एक महीना पहले ही तीज़ित क्षेत्र के हमारे कोनयक नागा लोगों को मणिपुर में घात लगाकर किए गए एक हमले में शहीद कर दिया गया’. उन्होंने आगे कहा, ‘हर एक ज़िंदगी महत्वपूर्ण होती है लेकिन आफस्पा के नाम पर कोई जांच-पड़ताल किए बिना वो (सेना के कर्मी) हमारे लोगों की जान ले लेते हैं’.
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना से शांति बहाली की प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ सकता है.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘ये एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. ऐसे समय जब हम शांति प्रक्रिया को किसी निष्कर्ष पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है. हमारी मांग ये है कि आफस्पा को हटाया जाए और जितना जल्दी हो सके बातचीत को पूरा किया जाए’.
अलॉन्ग, ‘हमारे लोग संविधान के तहत एक राजनीतिक समाधान चाहते हैं. हमने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि जितना जल्द हो सके प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाना चाहिए. हम जानते हैं कि चीन उत्तरपूर्व में गड़बड़ियां पैदा कर रहा है और नागालैंड अशांति पैदा करने में म्यांमार-स्थित विद्रोही संगठनों की सहायता कर रहा है’.
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‘सुरक्षा कर्मियों ने अंधाधुंध फायरिंग की’
इस बीच मोन ज़िले में बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया है कि घात के नाकाम हो जाने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने अंधाधुंध फायरिंग की.
बीजेपी के मोन ज़िला अध्यक्ष न्यावांग कोनयक ने कहा कि छह नागरिकों के मारे जाने की ख़बर सुनकर वो तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए थे. कोनयक ने दिप्रिंट को बताया कि उनका ड्राइवर, उनका भतीजा और एक पड़ोसी उनके साथ थे. वो एक जगह पर रुके हुए थे जब सुरक्षाकर्मियों ने उनपर गोली चलानी शुरू कर दी.
कोनयक ने कहा कि उनके साथ चल रहे तीनों गोलियों से घायल हो गए. जिसके बाद उनके पड़ोसी की मौत हो गई जो एक बीजेपी कार्यकर्त्ता था.
कोनयक ने कहा, ‘वो (सुरक्षाकर्मी) ऐसे गोलियां चला रहे थे जैसे उनपर कोई दबाव ही नहीं था. उन्होंने मेरी गाड़ी पर बीजेपी के झंडे को भी पहचानने की कोशिश नहीं की. वो हमें सतर्क कर सकते थे या बीजेपी का झंडा देखकर दोबारा जांच कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ये सुरक्षा बल किसी झंडे को नहीं पहचानते. ये बहुत ख़तरनाक है. अगर आपके पास सबूत और विश्वसनीय जानकारी नहीं है तो आप किसी को कैसे मार सकते हैं? उन्होंने एक बीजेपी कार्यकर्त्ता को भी नहीं छोड़ा’.
दूसरे प्रदेश बीजेपी नेताओं ने भी घटना के लिए सुरक्षा बलों की कड़ी निंदा की.
नागालैंड स्वास्थ्य मंत्री एस पंगन्यू फोम ने दिप्रिंट से कहा कि ये घटना बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा बलों की ये कार्रवाई बर्बरतापूर्ण है और पूरी तरह अस्वीकार्य है. कोई सोच भी नहीं सकता कि सुरक्षा बलों ने जिनका काम क्षेत्र और उसके लोगों की सुरक्षा करना है ऐसी क्रूरता को अंजाम दिया है’.
बीजेपी विधायक और राज्य सरकार के सलाहकार एच खेहोवी ने भी ट्वीट करते हुए घटना को मानवाधिकार उल्लंघन क़रार दिया.
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