नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि ऐसे में जब भारत और चीन दोनों, भीषण सर्दी के लिए पूर्वी लद्दाख में अपनी तैनातियां बढ़ा रहे हैं, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात अपने सैनिकों की पूरी अदला-बदली कर दी है.
रक्षा व सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि पीएलए ने पूरी अदला-बदली कर दी है, जिसका मतलब है कि सैनिकों के नियमित तबादलों की बजाय, सभी सैनिक नए लाए जा रहे हैं.
एक सामान्य अदला-बदली का मतलब होता है कि फ्रंट पर तैनात सैनिकों को पीछे लाकर, दूसरी पंक्ति के सैनिकों को आगे तैनात कर दिया जाता है. रिज़र्व में रखे गए सैनिकों को दूसरे स्तर की सुरक्षा में भेज दिया जाता है. ये चक्र दोहराता रहता है.
सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना की अपेक्षा, चीनी अपने सैनिकों की कहीं कम समय में अदला-बदली करते रहे हैं. लेकिन उन्होंने ये जानकारी देने से इनकार कर दिया कि ताज़ा अदला-बदली कब हुई है.
इसके अलावा, सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने सर्दियों के लिए एलएसी के अग्रिम बिंदुओं पर जो सैनिक तैनात किए हैं, वो लगभग सभी 20 से कुछ अधिक आयु के हैं. इससे वो ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके सैनिक कठोर मौसम को झेल सकें.
सूत्रों ने आगे कहा कि सैनिकों की नई अदला-बदली (नई बटालियनें) के समय सभी संचार प्रणालियों को बंद कर दिया गया, ताकि पता चलने की संभावनाएं कम से कम हो सकें. पीएलए ने चिकित्सा की बुनियादी सुविधाएं स्थापित करने पर भी बहुत बल दिया, ताकि सैनिकों की अच्छे से देखभाल की जा सके, चूंकि पूर्वी लद्दाख में सर्दियां बहुत कठोर हो सकती हैं.
पिछली सर्दियों में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पहली बार, पीएलए सैनिकों की अग्रिम पोज़ीशंस में तैनाती बनी रही थी.
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भारत भी तैयार
भारतीय थल सेना और वायुसेना ने भी लगभग 30,000 सैनिकों के लिए, लॉजिस्टिक्स का बंदोबस्त सुनिश्चित किया है, जिनकी पूर्वी लद्दाख में तैनाती बनी हुई है.
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल सर्दियों की तैनातियों के लिए, जो शेल्टर्स बनाए गए थे उनकी संख्या बढ़ाई गई है और लॉजिस्टिक्स का भी प्रबंध किया गया है.
लॉजिस्टिक्स में राशन, विशेष ईंधन, गोला बारूद और दूसरे सपोर्ट सिस्टम शामिल हैं.
पिछले हफ्ते, सेना और वायुसेना ने ऊंची क्षमता वाली एयरलिफ्ट -ऑपरेशन हरक्युलिस को अंजाम दिया था, जिसका उद्देश्य उत्तरी सेक्टर में सप्लाई को मज़बूत करना और ऑपरेशंस वाले इलाक़ों में सर्दियों के लिए साज़ो-सामान में इज़ाफा करना था.
एयरलिफ्ट के लिए सी-17, आईएल-76 और एएन-32 प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया गया. सूत्रों ने कहा कि ये एक संकेत था कि ज़रूर पड़ने पर किस तरह, सैनिकों की अतिरिक्त टुकड़ियां और उपकरण तेज़ी से तैनात किए जा सकते हैं.
सूत्रों ने कहा कि भूमिगत स्टोरेज पर भी बहुत ज़ोर दिया गया है, जो किसी भी तरह के हमले को झेल सकते हैं और साथ ही विभिन्न उपकरणों के लिए मरम्मत सुविधाएं बढ़ाने पर भी बल दिया गया है.
जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी, अग्रिम स्थानों पर सिर्फ सेना ही तैनात नहीं है. वायुसेना ने भी एलएसी पर कई जगह सर्वेलांस रडार्स तथा एयर डिफेंस सिस्टम्स को चलाने के लिए अपने कर्मियों को तैनात किया हुआ है.
सेना ने भी एलएसी का ध्यान रखने के लिए अपने युद्ध और कमान संरचना के क्रम में बड़े बदलाव किए हैं
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