पटना: बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर की एक अदालत में गुरुवार को एक जज के साथ बिहार पुलिस के जवानों ने कथित तौर पर उनके ही कार्यालय में मारपीट की. पटना उच्च न्यायालय ने देर रात इस मामले में विशेष सुनवाई की और कहा कि, ‘प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालने वाला है.’
दो पुलिसकर्मियों- एक स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी गोपाल कृष्ण और एक सहायक उप-निरीक्षक अभिमन्यु कुमार- को इस संदिग्ध हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार, जिनके ऊपर कथित पर तौर गुरुवार दोपहर को हमला किया गया था, के द्वारा की गई शिकायत के बाद इन दोनों पर मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस द्वारा दो महिलाओं के कथित उत्पीड़न से संबंधित एक मामले की अविनाश कुमार द्वारा की जा रही सुनवाई के बाद यह घटना हुई. जिला कानूनी न्यायिक प्राधिकरण (लोक अदालत) में हुई इस सुनवाई के दौरान गोपाल कृष्ण और अभिमन्यु कुमार मौजूद थे.
कार्यवाही के दौरान, न्यायाधीश अविनाश कुमार ने पुलिस के क़ानूनी ज्ञान पर सवाल उठाया था. कुछ दिनों पहले, न्यायाधीश ने मधुबनी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सत्यप्रकाश, जिन्होंने आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार अविनाश झा की हत्या को प्रेम प्रसंग का परिणाम बता एक नया विवाद खड़ा किया था, के बारे में भी कुछ टिपण्णियां की थीं.
झा, जो कथित तौर पर अवैध रूप से चलाए जा रहे निजी क्लीनिकों के बारे में ख़बरें दे रहे थे, 12 नवंबर को मृत पाए गए थे. बाद में इस अपराध के सिलसिले में एक निजी नर्सिंग होम के कर्मचारियों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस सुनवाई के बाद कथित तौर पर कुछ ‘गुस्साये हुए‘ पुलिसकर्मी न्यायाधीश के कार्यालय में घुस गए और उनके साथ शाब्दिक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया. इसके उपरांत दोनों पुलिसकर्मियों और स्थानीय वकीलों के बीच झड़प हो गई थी.
बाद में एक डीएसपी रैंक के अधिकारी कोर्ट पहुंचे और इन दोनों पुलिसकर्मियों को हिरासत में ले लिया.
दिप्रिंट द्वारा देखी गई प्राथमिकी में सत्र न्यायाधीश ने आरोप लगाया है कि प्रभारी अधिकारी ने उन पर बंदूक तान दी थी और फिर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी.
बाद में, मधुबनी जिला और सत्र न्यायाधीश ने पटना उच्च न्यायालय को एक पत्र लिखा, जिसने इस मामले पर चर्चा करने के लिए देर शाम एक विशेष सुनवाई की.
मुख्य न्यायाधीश राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह ने इस मामले में बिहार के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और प्रमुख सचिव (गृह) को नोटिस भेजा है. अदालत ने डीजीपी को 29 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने को कहा है और साथ ही उन्हें एक सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया गया है.
इस मामले में बिहार सरकार और मधुबनी के एसपी को भी प्रतिवादी बनाया गया है.
अभी तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. राज्य के गृह विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हमने इस घटना पर पूरी रिपोर्ट मांगी है और उसके बाद कार्रवाई की जाएगी.’
यह भी पढ़ें: शराबबंदी 2.0? इलाके में हुआ शराब का व्यापार तो बिहार में 10 साल के लिए नप जाएंगे SHO और चौकीदार
‘किया गया दुर्व्यवहार वीभत्स और छापने योग्य नहीं है’
झंझारपुर कोर्ट के वकील बलराम साहू ने दिप्रिंट को बताया कि ‘पुलिसकर्मियों द्वारा दी जा रहीं गालियां निंदनीय और छापने योग्य भी नहीं है.’ उन्होंने इस घटना को ‘अभूतपूर्व’ बताते हुए कहा, ‘यह काफी आश्चर्यजनक बात है कि हमारे आने के बाद भी पुलिसकर्मी जज से दुर्व्यवहार करते रहे. न्यायाधीश उनसे काफी डर गए थे.’
उन्होंने कहा, ‘पहले हम पुलिस सुरक्षा की मांग करते थे. अब तो हमें पुलिस से सुरक्षा मांगनी पड़ेगी.’ उन्होंने न्यायपालिका से तेजी से कार्रवाई करने की मांग की अन्यथा वकील स्वयं आगे कदम उठाएंगे. उन्होंने बताया कि न्यायाधीश द्वारा मधुबनी के एसपी के खिलाफ दिए गए प्रतिकूल बयानों से ये पुलिसकर्मी काफी नाराज थे.’
पटना हाईकोर्ट की वकील छाया मिश्रा ने भी इस घटना को अति निंदनीय बताया.
वो कहती हैं, ‘ये दोनों पुलिसकर्मी जज से इसलिए नाराज थे क्योंकि उन्होंने उन्हें तलब किया था और अपने पहले के एक फैसले में यह कहा था कि गृह विभाग को मधुबनी के एसपी को नए सिरे से प्रशिक्षण के लिए भेजना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘पड़ोस के राज्य झारखंड में धनबाद के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की ठोकर मारकर कर हत्या कर दी गई, और यहां बिहार में पुलिस वालों ने एक न्यायाधीश के कार्यालय में घुस कर उन्हें पीट दिया. मैं पटना हाईकोर्ट से निवदेन करती हूं कि वह घटना का स्वत: संज्ञान ले. मैं साथी वकीलों से भी अपील करती हूं कि जमानत के स्तर पर भी इन दोनों पुलिसकर्मियों का प्रतिनिधित्व न करें.’
इस बीच विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार सरकार को आड़े हाथों लिया है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, ‘बिहार में अब अदालतें भी सुरक्षित नहीं हैं. यह नीतीश कुमार के ‘सुशासन’ वाले दावे का एक और उदाहरण है, जहां पुलिस ने एक जज को उनके ही दफ्तर में पीटने का दुस्साहस दिखाया.’
पटना उच्च न्यायालय अब सोमवार तक के लिए बंद है.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: नकली शराब से मौतों का मजाक बनाने वाले नीतीश, अब बिहार के शराबबंदी कानूनों की समीक्षा क्यों कर रहे?