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Friday, 22 November, 2024
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नोटबंदी के 5 साल बाद, कैश लेन-देन में कमी आई है लेकिन खत्म नहीं हुआः सर्वे में खुलासा

लोकल सर्किल्स के सर्वे के मुताबिक, पिछले साल 20 फीसदी लोगों ने कैश के बजाय डिजिटल पेमेंट का रुख किया है.

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नई दिल्ली: एक कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्से के सर्वे में पता चला है कि नोटबंदी के पांच साल बाद भी लेनदेन में कैश की प्रमुख भूमिका है, हालांकि पिछले कुछ सालों में नकदी के उपयोग में गिरावट आई है.

सर्वेक्षण में लोकल सर्किल्स प्लेटफॉर्म के साथ रजिस्टर्ड 388 जिलों के 36,000 लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिनमें से 44 प्रतिशत टियर 1 जिलों से, 33 प्रतिशत टियर 2 जिलों से और 23 प्रतिशत टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.

सर्वेक्षण के अनुसार, तीन में से प्रत्येक दो प्रतिभागियों के लिए नकद लेन-देन उनके कुल लेन-देन के 25 प्रतिशत से भी कम रहा है, और पिछले वर्ष 20 प्रतिशत ने कैश लेन-देन को कम करके डिजिटल पेमेंट को बढ़ा दिया है.

हालांकि, कैश अभी भी विभिन्न लेन-देन का बहुत बड़ा हिस्सा है – पिछले सात वर्षों में कोई संपत्ति खरीदने वाले 8,920 लोगों में से 70 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें संपत्ति की कुल कीमत का कुछ हिस्सा कैश में भुगतान करना पड़ा, जिनमें से 16 प्रतिशत ने कुल कीमत की आधी राशि का भुगतान कैश में किया.

सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘लोकल सर्किल्स की रिपोर्ट है कि टैक्स से बचने के लिए संपत्ति की खरीद में कैश का अभी भी काफी मात्रा में प्रयोग किया जाता है.

सर्वे में शामिल 1980 लोगों में से जिन्होंने कहा कि वे भुगतान के लिए नकदी का इस्तेमाल करते हैं, उनमें से “95 फीसदी ने पिछले 12 महीनों में किराने का सामान खरीदने, बाहर खाने और फूड डिलीवरी के लिए कैश का प्रयोग किया, 13 प्रतिशत ने इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे गैजेट्स खरीदने के लिए और 11 प्रतिशत ने इसका इस्तेमाल संपत्ति, आभूषण और इस्तेमाल किए गए वाहनों जैसे कीमती सामानों के लिए किया.

‘डिजिटल पेमेंट में वृद्धि’

27 उत्तरदाताओं ने बताया कि साल 2019 में उन्होंने औसतन अपनी मासिक खरीद के 50-100 प्रतिशत के लिए रसीद नहीं लिया. सर्वेक्षण के अनुसार, यह संख्या 2020 में घटकर 14 प्रतिशत रह गई, और अब यह 15 प्रतिशत पर है.

“यह पता चलता है कि नागरिकों की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई है, जिन्होंने पिछले 12 महीनों में रसीद के बिना अपनी मासिक खरीद का बहुमत किया,” यह कहते हैं ।

सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकारे संपत्ति के लेन-देन में काले धन के प्रयोग पर लगाम लगा पाती हैं और जीएसटी परिषद सेवाओं पर जीएसटी दरों को कम करने पर विचार करती है, तो भारत अगले 5 सालों में कैश से डिजिटल लेन-देन में शिफ्ट करने की मौजूदा गति को जारी रख सकता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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