काबुल: दक्षिण अफगानिस्तान के एक प्रांत की एक शिया मस्जिद में जुमे (शुक्रवार) की नमाज़ के दौरान आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट कर दिया, जिसमें कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. जुमे की नमाज़ की वजह से मस्जिद में भीड़ ज्यादा थी. यह जानकारी अस्पताल के एक अधिकारी और एक चश्मदीद ने दी है.
इससे एक हफ्ते पहले इस्लामिक स्टेट (आईएस) से संबद्ध स्थानीय संगठन ने उत्तरी प्रांत की एक शिया मस्जिद में बम विस्फोट किया था, जिसमें 46 लोगों की मौत हुई थी.
मुर्तज़ा नाम के चश्मदीद ने बताया कि चार आत्मघाती हमलावरों ने इमाम बारगाह मस्जिद पर हमला किया. दो हमलावरों ने सुरक्षा द्वार पर खुद को विस्फोट में उड़ा लिया ताकि दो अन्य हमलावर मस्जिद के अंदर जाकर विस्फोट कर सकें, जहां पर बड़ी संख्या में नमाज़ी जमा थे.
एसोसिएटेड प्रेस से फोन पर बात करते हुए मुर्तज़ा ने बताया कि मस्जिद में जुमे की नमाज़ करीब 500 लोग अदा करते हैं.
घटना की वीडियो फुटेज में यहां-वहां शव पड़े दिखाई दे रहे हैं तथा कालीन पर खून पड़ा है और लोग इधर-उधर भाग रहे हैं.
प्रांतीय अस्पताल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हताहतों की संख्या की पुष्टि की है.
आईएस समूह तालिबान के शासन का विरोधी है और शिया समुदाय को मूर्तद (धर्मत्यागी) मानता है, जिन्हें मार दिया जाना चाहिए.
अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है. समूह ने छोटे हमलों में तालिबानी लड़ाकों को भी निशाना बनाया है.
तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने विस्फोट की पुष्टि की है और कहा कि मामले की जांच चल रही है. उन्होंने मामले की और जानकारी नहीं दी.
अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है. तालिबान और आईएस दोनों सुन्नी मुसलमानों के समूह हैं, लेकिन वे वैचारिक तौर पर काफी अलग हैं. इनमें आईएस काफी कट्टर है. वे कई बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ चुके हैं.
तालिबान ने शिया अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वचन दिया है, जिनपर तालिबान ने 1990 के दशक के शासन के दौरान जुल्म किया गया था.