चंडीगढ़: जिस दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को, उनके इस्तीफे से शुरू हुए एक लंबे अंतराल के बाद, आलाकमान से मुलाक़ात करनी है, पंजाब में पार्टी के अंदर फिर एक उबाल आया हुआ है, और इस मरतबा इसकी वजह है, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का मोदी सरकार का क़दम.
सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐलान किया था, कि उसके अंतर्गत आने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का परिचालन क्षेत्राधिकार, पंजाब, असम, और पश्चिम बंगाल के सीमावर्त्ती क्षेत्रों में, मौजूदा 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर हो जाएगा.
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस फैसले की घोर निंदा करते हुए, इसे देश के संघीय ढांचे पर एक सीधा हमला क़रार दिया, और मांग उठाई कि इसे फौरन वापस लिया जाए.
I strongly condemn the GoI’s unilateral decision to give additional powers to BSF within 50 KM belt running along the international borders, which is a direct attack on the federalism. I urge the Union Home Minister @AmitShah to immediately rollback this irrational decision.
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) October 13, 2021
लेकिन उनके पूर्ववर्त्ती कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फैसले का स्वागत किया, और कहा कि बीएसएफ की बढ़ी हुई मौजूदगी पंजाब को मज़बूत बनाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि केंद्रीय बलों को सियासत में नहीं खींचा जाना चाहिए.
‘Our soldiers are being killed in Kashmir. We’re seeing more & more weapons & drugs being pushed by Pak-backed terrorists into Punjab. BSF’s enhanced presence & powers will only make us stronger. Let’s not drag central armed forces into politics’: capt_amarinder 1/2
(File pic) pic.twitter.com/nu4DhAQnAz— Raveen Thukral (@RT_Media_Capt) October 13, 2021
अमरिंदर, जिन्हें पिछले महीने पंजाब मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था, उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो कांग्रेस छोड़ने जा रहे हैं, और माना जा रहा है कि वो बीजेपी से नज़दीकियां बढ़ा रहे हैं, जिसके बाद वो अपने अगले क़दम का ऐलान करेंगे, जिसमें उनके अपने एक अलग सियासी संगठन बनाने की संभावना भी शामिल है.
इस बीच गृह मंत्रालय की घोषणा ने, पंजाब कांग्रेस के अंदर और अधिक दरारों को उजागर कर दिया है.
पूर्व प्रदेश इकाई प्रमुख सुनील जाखड़ ने इस क़दम के लिए चन्नी पर हमला बोलते हुए कहा, कि हो सकता है मुख्यमंत्री ने ‘अनजाने में, आधा पंजाब केंद्र सरकार के हवाले कर दिया हो’.
बुधवार को उन्होंने ट्वीट किया, ‘सावधान रहिए कि आप क्या मांग रहे हैं! क्या @CHARANJITCHANNI ने अनजाने में आधे से अधिक पंजाब केंद्र सरकार के हवाले कर दिया है. (कुल 50,000 वर्ग किमी. में से) 25000 वर्ग किमी. बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में कर दिया गया है. पंजाब पुलिस का तिरस्कार हो रहा है. क्या हम अभी भी राज्यों के लिए ज़्यादा स्वायत्तता चाहते हैं?’
Be careful what you ask for ! Has @CHARANJITCHANNI unwittingly managed to handover half of Punjab to Central govt. 25000sq km (out of total 50,000sq km) has now been placed under BSF jurisdiction. Punjab Police stands castigated. Do we still want more autonomy to States ? https://t.co/JlGB7G0Pnj
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 13, 2021
और अधिक भौंहें तब तनीं जब बृहस्पतिवार को उन्होंने, बीएसएफ की प्रशंसा में ट्वीट किया, और कहा कि वो अमरिंदर के विचार का समर्थन करते हैं, कि केंद्रीय बलों को सियासी औज़ार की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
We are proud of our security forces which are meant to secure our borders and protect India from foreign aggressors.Using them to to cover up the failures & to clean up the mess created by leaders & govts is very alarming. It not only denigrates our brave forces but also 1/2
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 14, 2021
अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के बाद, जाखड़ पंजाब मुख्यमंत्री पद की रेस में थे, लेकिन अंतिम समय पर हाई कमान ने उन्हें निराश कर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि वो नवजोत सिद्धू, और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व दोनों से नाराज़ चल रहे हैं.
अन्य लोगों में, अमृतसर सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस क़दम का स्वागत किया, हालांकि उन्होंने कहा कि 50 किलोमीटर का निशान ‘बहुत अधिक’ है.
औजला ने कथित रूप से कहा, ‘मुझे लगता है कि इससे नशीली दवाओं के ख़तरे को कम करने में सहायता मिलेगी. बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 10 किलोमीटर तक सीमित होना चाहिए. मैं ये टिप्पणी केवल ड्रग तस्करी के नज़रिए से कर रहा हूं’.
सिद्धू के क़रीबी सहयोगी और कैबिनेट मंत्री परगट सिंह ने बृहस्पतिवार को एक प्रेस कॉनफ्रेंस की, और मोदी सरकार के इस फैसले के लिए, अमरिंदर को क़ुसूरवार ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘अमरिंदर सिंह बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं, और लोगों के मन में डर और असुरक्षा की भावना पैदा करके, वो पंजाब का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. इस क़दम को उठाकर भारत सरकार ने, आधे से अधिक पंजाब पर क़ब्ज़ा कर लिया है’.
विपक्षी शिरोमणि अकाली दल ने भी इस क़दम पर कड़ी आपत्ति जताई है, और इसे सूबे में आपातकाल की घोषणा जैसा क़रार दिया है. पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने बृहस्पतिवार को, चंडीगढ़ में इस निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया.
The new notifications by the Union Home Ministry is an indication of internal emergency in Punjab –@drcheemasad pic.twitter.com/1PvjAR5kbW
— Shiromani Akali Dal (@Akali_Dal_) October 13, 2021
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सिद्धू ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधा, आज करेंगे आला कमान से मुलाक़ात
लेकिन, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने इस मुद्दे पर अभी तक अपनी ज़ुबान नहीं खोली है. बुद्धवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर, अपने सलाहकारों के साथ एक ‘इंटरव्यू’ डाला था, लेकिन इस विषय से दूर रहे.
उन्होंने जो कुछ कहा उसमें सिर्फ पुराने बयानों के ही दोहराया था, बस सूबे में अवैध खनन को समाप्त करने की मुख्यमंत्री की योजनाओं को लेकर, उन्होंने घुमा-फिराकर चन्नी पर हमला किया. मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था, कि ज़मीन मालिकों को रेत तक नि: शुल्क पहुंचने की अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है, जिसपर सिद्धू ने फेसबुक इंटरव्यू में आपत्ति ज़ाहिर की.
पंजाब डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्तियों के विरोध में इस्तीफा देने के बाद से, सिद्धू नाराज़ चल रहे थे लेकिन पिछले हफ्ते लखीमपुर खीरी की घटना के बाद ऐसा लगा कि वो मान गए थे. किसानों के साथ एक जुटता दिखाने के लिए, पंजाब कांग्रेस ने एक साझा मंच खड़ा किया था.
अपेक्षा की जा रही है कि बृहस्पतिवार को सिद्धू, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और पंजाब प्रभारी हरीश रावत के साथ, अगले साल आगामी असेम्बली चुनावों से पहले, पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलावों पर चर्चा कर सकते हैं.
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