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Wednesday, 20 November, 2024
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शिवसेना ने कहा- सैनिकों की मौत का बदला लिया जाना चाहिए और ‘पांच के बदले 25’ आतंकवादियों को मारा जाए

शिवसेना ने मराठी समाचार पत्र के सम्पादकीय में कहा, ‘भारतीयों के मन को तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक पांच जवानों को मारने वाले आतंकवादियों को ढेर नहीं किया जाता.’

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मुंबई: जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ में पांच जवानों के शहीद होने के एक दिन बाद शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि सैनिकों की मौत का बदला लिया जाना चाहिए और ‘पांच के बदले 25’ आतंकवादियों को मार गिराया जाना चाहिए.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि धारा 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वालों का हौसला बढ़ गया है.

संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था, जो अब खत्म हो गया है.

हाल के हफ्तों में आतंकवादी हमले काफी बढ़ गए हैं, जिसमें एक प्रमुख कश्मीरी पंडित व्यवसायी और एक स्कूल शिक्षक सहित कई नागरिक मारे गए.

इन हत्याओं का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि इस तरह की हिंसक घटनाएं इस बात का एहसास कराती हैं कि क्या 1990 के दशक की तरह स्थिति बन रही है, जब हजारों कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे.

पार्टी ने मराठी समाचार पत्र के सम्पादकीय में कहा, ‘भारतीयों के मन को तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक पांच जवानों को मारने वाले आतंकवादियों को ढेर नहीं किया जाता.’

सम्पादकीय में कहा गया कि सुरनकोट मुठभेड़ में मारे गए जवानों की मौत का बदला तुरंत लिया जाना चाहिए और ‘पांच के बदले 25’ आतंकवादियों को मारा जाना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में सोमवार को हुई तीन मुठभेड़ों में एक ‘जूनियर कमीशन अधिकारी’ (जेसीओ) समेत सेना के पांच जवान और दो आतंकवादी मारे गए थे.

जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले पुंछ के सुरनकोट इलाके में डेरा की गली (डीकेजी) के पास एक गांव में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में पांच सैनिक शहीद हो गए थे. सेना और पुलिस ने नियंत्रण रेखा पार कर यहां आए आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने के बाद एक संयुक्त अभियान शुरू किया था. अनंतनाग और बांदीपुरा जिलों में मुठभेड़ के दौरान दो आतंकवादी मारे गए और एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था.

सेना के पांच जवानों की मौत के बाद सोमवार को शिवसेना और डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया था और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने तथा उसे बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पुतला भी फूंका था.


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