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Sunday, 17 November, 2024
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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- मोदी सरकार की कल्याणकारी नीतियां लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा कर रही हैं

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर शाह ने आयोग द्वारा पिछले 28 वर्ष में देश के लोगों में उनके मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किए गए कार्यों की सराहना की.

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नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार समाज के गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए अथक प्रयास कर रही है, जिससे उनके मानवाधिकारों की रक्षा हो रही है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर शाह ने आयोग द्वारा पिछले 28 वर्ष में देश के लोगों में उनके मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किए गए कार्यों की सराहना की.

गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में लंबे समय बाद पहली बार केन्द्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी और तब से वह गरीब तथा वंचित वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से 10 करोड़ परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराए गए, जिससे महिलाओं तथा लड़कियों और अन्य के मानवाधिकारों की रक्षा हुई.

उन्होंने कहा कि इस अवधि में चार करोड़ परिवारों को बिजली मुहैया कराई गई, जो वृद्धों और बच्चों के लिए समान रूप से मददगार है. उन्होंने कहा कि 13 करोड़ परिवारों को ‘गैस कनेक्शन’ दिया गया, जिसने महिलाओं तथा अन्य लोगों को विभिन्न बीमारियों से बचाने में मदद की.

शाह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गरीबों के लिए दो करोड़ मकानों का निर्माण करावाया और अन्य पांच करोड़ मकान जल्द ही तैयार हो जाएंगे. सात करोड़ लोगों को केन्द्र सरकार द्वारा सीधे उनके बैंक खातों में वित्तीय सहायता दी गई, जो खाते पहली बार खोले गए थे.

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के हर घर में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है और दो करोड़ परिवारों को जल्द ही ‘पाइप’ के माध्यम से स्वच्छ पानी दिया जाएगा, जिससे उनके मूल मानवाधिकारों की रक्षा होगी.

गृह मंत्री ने कहा कि एनएचआरसी ने अस्तित्व में आने के बाद से 20 लाख मामलों का निपटारा किया है और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित लोगों को 205 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है, जो सराहनीय है.

मानवाधिकार संरक्षण कानून, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी.

एनएचआरसी मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, जांच करता है और सार्वजनिक प्राधिकारों द्वारा पीड़ितों को दिए जाने के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है.

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