नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी तीन में से दो पार्टियां कांग्रेस और शिवसेना, 30 अक्टूबर के निर्धारित दादरा व नगर हवेली संसदीय उपचुनाव में, एक दूसरे के मुक़ाबले पर उतरेंगी.
ये मुक़ाबला इस परिदृश्य में हो रहा है, जिसमें शिवसेना सांसद संजय राउत ने, महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कामकाज पर चर्चा करने के लिए, कांग्रेस लीडर राहुल गांधी से मुलाक़ात की, और बीजेपी कथित रूप से संभावित पुनर्मिलन के लिए, अपने पूर्व सहयोगी के पास भेदिए भेज रही है.
दादरा और नगर हवेली, जो गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है, उसमें उपचुनाव इसलिए हो रहा है कि मार्च में, वहां के सांसद मोहन देल्कर ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. 2019 में उन्होंने अपनी सीट- जो दो केंद्र-शासित क्षेत्रों (यूटी)- दादरा व नगर हवेली तथा दमन व दीव- में से एक थी- निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीती थी.
अपने 15 पन्नों के सुसाइड नोट में सात बार के सांसद ने कहा, कि उन्हें यूटी प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल परेशान कर रहे थे. साथ ही उन्होंने दूसरे सरकारी अधिकारियों का भी नाम लिया, जिन्होंने कथित रूप से उन्हें ये क़दम उठाने पर मजबूर किया.
शिवसेना ने इस सीट से देल्कर की विधवा कलाबेन देल्कर को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार महेश कुमार बालूभाई धोदी हैं.
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‘ऐसे टकरावों से बचना चाहिए’
दिप्रिंट से बात करते हुए, शिवसेना और कांग्रेस दोनों ने कहा, कि ऐसे टकरावों से बचना चाहिए.
शिवसेना सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, कि उन्हें मालूम था कि कांग्रेस किसी उम्मीदवार को उतारेगी, क्योंकि उनकी केसी वेणुगोपाल से पहले बात हुई थी. उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस बहुत सालों से, दादरा व नगर हवेली में चुनाव लड़ती आ रही थी, जबकि शिवसेना 2019 के चुनावों के साथ ही यहां मैदान में उतरी थी.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि महाराष्ट्र के बाहर हम एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी हमें ऐसे टकरावों से बचने की कोशिश करनी चाहिए’.
मुम्बई कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चरण सिंह सापरा ने कहा, कि गठबंधन सहयोगियों के बीच टकरावों से बचा जाना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा, कि ये उपचुनाव महाराष्ट्र में गठबंधन की राह में आड़े नहीं आएगा.
सपरा ने आगे कहा कि कांग्रेस बहुत सालों से, दादरा व नगर हवेली में चुनाव लड़ती आ रही है, इसलिए उपचानाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा स्वाभाविक थी.
ये पूछने पर कि देल्कर की पत्नी शिवसेना की उम्मीदवार हैं, तो क्या सेना उनके वोटों में सेंध लगाएंगी, सापरा ने कहा कि भूतपूर्व सांसद हमेशा पार्टियां बदलते रहते थे. उन्होंने आगे कहा कि देल्कर की पत्नी को ‘सहानुभूति वोट’ मिल सकते हैं, लेकिन केंद्र-शासित क्षेत्र में कांग्रेस का जनाधार कहीं ज़्यादा मज़बूत है.
सापरा ने कहा कि हालांकि टकरावों से बचना चाहिए, लेकिन एक संभावना हो सकती है कि 2022 के गोवा चुनावों में, शिवसेना और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतर सकती हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि ऐतिहासिक रूप से, स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन सहयोगी अकसर एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं- चाहे वो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाम कांग्रेस हो, या उससे पहले बीजेपी और शिवसेना हों.
इसी महीने शिवसेना ने ऐलान किया था, कि अगले साल वो बृहन्मुंबई नगर निगम के चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी. कांग्रेस ने भी इसी तरह की घोषणाएं की हैं.
2019 में जब से पूर्व विरोधियों, शिवसेना और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ, तब से उसमें अनबन की अफवाहें उड़ती रही हैं.
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‘पति की न्याय की लड़ाई को जारी रखना चाहती हूं’
देलकर ने 1989 से 2004 के बीच दादरा व नगर हवेली से लोकसभा के सभी चुनाव जीते थे- तीन बार निर्दलीय के तौर पर, एक बार कांग्रेस उम्मीदवार के नाते (1991), एक बार बीजेपी टिकट पर(1998), और एक बार अपनी पार्टी (भारतीय नवशक्ति पार्टी) के उम्मीदवार के तौर पर. 2009 और 2014 में बीजेपी की ओर से उतारे गए दूसरे उम्मीदवार ने जीत हासिल की, जिसके बाद 2019 में देल्कर सातवें कार्यकाल के लिए वापस आ गए.
2004 के इंडिया टुडे के एक प्रोफाइल के मुताबिक़, देल्कर का अपने चुनाव क्षेत्र में इतना प्रभाव था कि दादरा व नगर हवेली में, ‘उनकी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होता’.
उसमें आगे कहा गया, ‘उनकी जनसभाओं में उतनी भीड़ जमा होती है, जितनी उप-प्रधानमंत्री एलके आडवाणी, और गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में होती है. शिवसेना चीफ बाल ठाकरे ने, जो बहुत कम मुम्बई से बाहर निकलते हैं, 1999 में उनके खिलाफ प्रचार किया, लेकिन उन्हें एक अच्छे अंतर से विजयी होने से नहीं रोक सके’.
उन पर कथित रूप से डराने-धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया गया, लेकिन उन्होंने आरोपों को ख़ारिज कर दिया.
कलाबेन देल्कर ने, जो बृहस्पतिवार को शिवसेना में शामिल हुईं, दिप्रिंट से कहा कि उनकी ज़िम्मेदारी है, कि वो ‘अपने पति की न्याय की लड़ाई और लोगों के लिए काम करने को आगे बढ़ाएं’.
उन्होंने शिवसेना को क्यों चुना, इसपर कलाबेन ने कहा कि उनके पति की आत्महत्या के बाद, पार्टी ने परिवार को बहुत सहारा दिया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सही समय आने पर प्रफुल पटेल के बारे में बात करूंगी, क्योंकि मामला कोर्ट के विचाराधीन है, लेकिन मैं इतना ज़रूर कहूंगी कि ये सब (उनकी आत्महत्या) पटेल की वजह से हुआ है. उनकी (देल्कर) ताकत और शोहरत देखकर उसके अंदर डर और ईर्ष्या भर गई थी’.
पटेल उनमें से हैं जिनपर मुम्बई पुलिस ने, देल्कर के कथित ख़ुदकुशी मामले में मुक़दमा क़ायम किया है. इस मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने, एक विशेष जांच टीम का गठन किया है.
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