श्रीनगर: दिप्रिंट को पता चला है कि कश्मीर घाटी में सुरक्षा बल छह आतंकवादियों और उनके पाकिस्तानी हैंडलर को ट्रैक कर रहे हैं. इनमें से कुछ सीसीटीवी कैमरे में पकड़े गए थे.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि इन आतंकियों की पहचान का पता लगा लिया गया है और ये श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के हैं.
सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर शहर में हत्या करने के बाद भाग रहे आतंकियों की तस्वीरें एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गईं और इन पर काम किया जा रहा है.
सूत्रों ने यह भी कहा कि आतंकी समूहों के कई ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) को पकड़ा गया है और पूछताछ जारी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा भी कई दर्जन लोगों को हिरासत लिया गया है.
इस बीच, शोपियां में सुरक्षाबलों ने पिछले हफ्ते श्रीनगर में सड़क पर हॉकर वीरेंद्र पासवान की हत्या करने वाले गांदरबल के मुख्तार शाह को सोमवार को मार गिराया.
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श्रीनगर में दिल्ली की विशेष टीम
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ एक वरिष्ठ आतंकवाद निरोधक अधिकारी के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजधानी से एक विशेष टीम श्रीनगर में है, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक क्रैक टीम के साथ इस मामले पर काम कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि कई एजेंसियां इस अभियान में शामिल हैं और इसका उद्देश्य इन घटनाओं के पीछे के पूरे आतंकी मॉड्यूल का पता लगाना है न कि सिर्फ उनका जिन्होंने इसे अंजाम दिया है.
सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ मिलकर इन हत्याओं के पीछे आतंकी मॉड्यूल का पता लगाने के लिए कई जांच-पड़ताल और लक्षित अभियानों को अंजाम दे रहे हैं. इन आतंकी मॉड्यूल का उद्देश्य घाटी में आने वाले अल्पसंख्यकों और पर्यटकों के मन में भय का मनोवृत्ति पैदा करना है.
पाकिस्तान के आतंकी को माना जा रहा मास्टरमाइंड
दिप्रिंट ने रविवार को बताया कि करीब 20 दिन पहले घुसपैठ करने वाला एक पाकिस्तानी आतंकी इन हमलों का मास्टरमाइंड माना जा रहा है.
माना जा रहा है कि यह आतंकी कश्मीर में पहले भी दो बार काम के सिलसिले में मौजूद था.
जहां अल्पसंख्यकों की इन हत्याओं की जिम्मेदारी दि रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है, लेकिन इसके पीछे वास्तविक रूप से पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ है.
सूत्रों के मुताबिक टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का जम्मू कश्मीर में फ्रंट फेस है जो कि अक्टूबर 2019 में सबके सामने आया.
सूत्रों ने यह भी कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में कई फोन इंटरसेप्ट्स और इनपुट्स से पता लगा है कि उनके पाकिस्तानी हैंडलर्स की ओर से स्थानीय आतंकवादियों पर लक्षित हमलों को अंजाम देने का दबाव है.
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