बेलगावी: कर्नाटक में बेलगावी के आजाद नगर क्षेत्र स्थित अपने आवास से सटे एक हॉल में बनाए गए दफ्तर में बैठे रमाकांत कोंडुस्कर ने अपने संगठन की तरफ से कोविड-19 महामारी चरम पर होने के दौरान किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
उन्होंने दावा किया, ‘हमने तीन पुरानी एम्बुलेंस खरीदीं और उन 770 लोगों के अंतिम संस्कार के लिए मुफ्त सेवाएं दीं, जिन्होंने कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया था. जिनका कोई परिजन उपलब्ध नहीं हो पाया हमने उनका अंतिम संस्कार भी किया. हमने इस बात की कोई परवाह नहीं की कि मृतक का धर्म क्या है.’
कमरे में एक बड़ी मेज के पीछे एक घूमने वाली चमड़े की कुर्सी रखी है, इसके अलावा कुशन वाले तीन बड़े सोफे भी रखे हैं. लेकिन सादा जीवन में भरोसा रखने वाले 49 वर्षीय कोंडुस्कर बिना कुशन वाली लकड़ी की कुर्सी पर बैठना पसंद करते हैं.
हालांकि, ऐसा लगता है कि उनके सौम्य चेहरे के पीछे एक गंभीर वास्तविकता छिपी हुई है, क्योंकि कोंडुस्कर कुख्यात हिंदू चरमपंथी संगठन श्री राम सेना की ही एक शाखा, श्री राम सेना हिंदुस्तान (एसआरएसएच) के संस्थापक हैं. एसआरएसएच अब बेलगावी में एक मुस्लिम युवक की हत्या की घटना को लेकर चर्चा में है.
एसआरएसएच सदस्यों को एक हिंदू लड़की से अंतरधार्मिक विवाह करने के कारण 24 वर्षीय अरबाज आफताब मुल्ला की कथित कथित हत्या के मामले में दायर एफआईआर में आरोपी के तौर पर नामित किया गया है. मुल्ला का शव रेलवे ट्रैक पर मिला था, जिसका सिर काट दिया गया था और हाथ बंधे हुए थे.
बेलगावी पुलिस ने एक एम्बुलेंस को भी जब्त किया है जिसके बारे में कोंडुस्कर बात कर रहे थे.
कोंडुस्कर ने अपने संगठन पर लगे हत्या के आरोपों से इनकार किया और इसके बजाये इसकी तरफ से किए जाने वाले ‘कल्याणकारी’ कार्यों पर ज्यादा जोर दिया.
उन्होंने एसआरएसएच के फेसबुक पेज की ओर इशारा किया, जो एसआरएसबीजीएम’ के नाम से चलता है—यह श्री राम सेना बेलगाम का संक्षिप्त नाम है. पेज पर 10,834 लाइक्स हैं और 11,064 लोगों ने इसे सब्सक्राइब कर रखा है. इस पर उन सभी कार्यक्रमों की तस्वीरें और वीडियो छाए हैं जो संगठन रोजाना आयोजित करता रहता है.
कोंडुस्कर ने एक पशु की तस्वीरें दिखाते हुए दिप्रिंट को बताया, ‘आज भी हमने हादसे में मारी गई एक गौमाता को वहां से हटाया और उसे दफनाने का इंतजाम किया.’
उन्होंने कहा, ‘हम यह करते हैं. हम हिंदुओं और हिंदुत्व का काम करते हैं. हम अपनी संस्कृति, धर्म और पहचान की रक्षा का प्रयास करते हैं. हम देशद्रोहियों के खिलाफ हैं. हमारे आदर्श हमारे भगवान श्री राम, शिवाजी महाराज और डॉ बी.आर. अंबेडकर हैं. हिंदुत्व की रक्षा करने के लिए हमारे कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है. उनका हत्या से कोई लेना-देना नहीं है.’
कोंडुस्कर आगे कहते हैं कि उनकी तरह ही उनके कार्यकर्ताओं में भी कोई ‘बुरी आदत’ नहीं है, इसलिए किसी की हत्या करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है. उनका कहना है कि तमाम लोग उनके संगठन के विकास से ‘ईर्ष्या’ करते हैं, और इसीलिए उसे निशाना बनाया जा रहा है.
लेकिन अपने बचाव के लिए 49 वर्षीय कोंडुस्कर इस तथ्य से कतई इनकार नहीं करते कि हिंदुत्व की रक्षा करने के लिए बना उनका यह एकदम नया संगठन मॉरल पुलिसिंग में शामिल है.
कोंडुस्कर बताते हैं, ‘हां, हम युवाओं से कहते हैं कि वे दूसरे समुदायों के लोगों के प्रेम में न पड़ें. हम उन्हें आगाह करते हैं कि ऐसे अंतरधार्मिक संबंध लंबे समय तक टिकते नहीं हैं. सिर्फ हिंदू ही नहीं, मुस्लिम माता-पिता भी हमारे पास मदद मांगने आते हैं.’
सांप्रदायिकता को लेकर उनकी पृष्ठभूमि किसी से छिपी नहीं है. कोंडुस्कर बताते हैं, ‘जब भी क्षेत्र में कहीं कोई सांप्रदायिक दंगा हुआ, पुलिस की तरफ से मुझे जेल में डाल दिया गया. मैं कभी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होता, लेकिन हमेशा हिरासत में भेज दिया जाता हूं.’ साथ ही कहते हैं कि अदालतों के सामने पेश होना उनके लिए रोज की बात हो चुकी है—उनसे जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
बजरंग दल कार्यकर्ता के तौर पर की थी शुरुआत
रमाकांत कोंडुस्कर ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत 1998 में श्री राम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक के साथ बजरंग दल कार्यकर्ता के तौर पर की थी.
वह उस समय श्री राम सेना का हिस्सा बन गए गए जब मुतालिक ने इसकी स्थापना की. लेकिन 2018 में अपना रास्ता अलग करके खुद का सतर्क हिंदुत्व संगठन बना लिया. कोंडुस्कर ने कहा, ‘बेलगावी में श्री राम सेना में अनावश्यक राजनीति होती थी और मैं इसीलिए तीन साल पहले इससे अलग हो गया.’
तब से, उनका संगठन लगातार बढ़ता जा रहा है.
एसआरएसएच के एक सदस्य सचिन पाटिल ने ‘दादा’ के प्रति अपनी आस्था कतई न छिपाते हुए कहा, ‘लोग उनके पास ऐसे मामलों में मदद के लिए आते हैं जिन्हें पुलिस भी नहीं सुलझा पाती है. दिप्रिंट ने जब वहां का दौरा किया तो सचिन पाटिल जैसे कम से कम एक दर्जन युवक कोंडुस्कर के आवास के बाहर लाइन में खड़े थे.
जहां तक बतौर संस्थापक बात की जाए तो उन्हें अपने संगठन और इससे जुड़े लोगों पर गर्व है. यद्यपि उन्होंने अपने संगठन से जुड़े सदस्यों की संख्या के बारे में कुछ भी जानकारी देने से इनकार कर दिया लेकिन कहा, ‘हमारे पास किसी विधायक या सांसद की तुलना में ज्यादा कार्यकर्ता हैं.’ उनका कहना है कि संगठन के पास अब बेलगावी, बागलकोट, विजयपुरा और यादगीर जिलों में अपने कार्यकर्ता हैं. इन सभी क्षेत्रों में बतौर हिंदूवादी संगठन वर्चस्व कायम करने के लिए एसआरएसएच कम से कम आधा दर्जन समूहों को चुनौती दे रहा है.
कोंडुस्कर का दावा है कि इसी बढ़ते प्रभाव ने उनके संगठन को आफताब मुल्ला की हत्या में फंसाया है.
वह कहते हैं, ‘जो कुछ भी हुआ, जिस किसी के भी साथ हुआ, बहुत बुरा हुआ. पीड़ित के प्रति सभी समुदायों को सहानुभूति है, लेकिन इसे हिंदुत्व कार्यकर्ताओं से जोड़ने का यह प्रयास स्वीकार्य नहीं है.’
उन्होंने दावा किया, ‘हमारे कार्यकर्ताओं से पूछताछ की गई है लेकिन यह केवल संदेह के आधार पर हुई है. पुलिस को यह भी देखना चाहिए कि पीड़ित कौन है और उसकी पृष्ठभूमि क्या है. वह गांजे के धंधे में लिप्त था और उसकी वजह से किसी ने उसकी जान ली हो.’
हालांकि, जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस एंगल से भी जांच की गई थी और मुल्ला के कुछ परिचितों से पूछताछ की गई लेकिन इस तरह का ऐसा कोई सुराग नहीं मिलने पर उन्हें छोड़ दिया गया.
कोंडुस्कर ने काफी जोर देकर कहा, ‘हम भी चाहते हैं कि असली दोषियों को गिरफ्तार किया जाए. हम नहीं जानते कि यह किसने किया लेकिन ये हमारे कार्यकर्ता नहीं थे.’ उनका यह भी कहना था कि उन्हें नहीं पता है कि पुलिस ने कितने एसआरएसएच कार्यकर्ताओं से पूछताछ की है.
यह भी पढ़ें : गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा- लखीमपुर खीरी का दबंग ‘जो मौके पर इंसाफ करता है’
उन्होंने बताया, ‘केवल पुंडालिक (मुतागेकर) के परिवार के सदस्यों ने मुझे फोन करके बताया था कि उन्हें पुलिस ले गई है.’ साथ ही इस बात की पुष्टि की कि एक एम्बुलेंस भी जब्त की गई है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके संगठन को मॉरल पुलिसिंग से आर्थिक लाभ मिलता है, कोंडुस्कर का जवाब था, ‘हम कभी पैसे नहीं लेते हैं. यह संगठन दान में मिलने वाली धन राशि पर चलता है.’
मॉरल पुलिसिंग, जबरन वसूली, महामारी ने स्थिति और बिगाड़ी
एसआरएसएच भले ही खुद को एक शाखा संगठन बताता हो, लेकिन बेलगावी में पुलिस और नागरिकों के लिए, यह अभी भी श्री राम सेना ही है.
बेलगावी के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है, ‘इस संगठन का सदस्य होने का दावा करने वाले अधिकांश युवक बेरोजगार और आवारा किस्म के हैं. अक्सर ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग ऐसे संगठनों से जुड़ जाते हैं, क्योंकि यह उन्हें राजनीतिक समर्थन और बचाव का रास्ता मुहैया कराता है.’ उनका आरोप है कि पार्टी लाइन से इतर जाकर राजनेता पहले भी पुलिस को ऐसे संगठनों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने से रोकते रहे हैं.
अधिकारी ने कहा, ‘अक्सर, वे डराने-धमकाने, धमकियों और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में लिप्त होते हैं और हमेशा गंभीर किस्म का कोई अपराध न करने को लेकर सतर्क रहते हैं, लेकिन इस मामले में स्थितियां थोड़ी गड़बड़ा गईं.’
विभिन्न जिलों में ऐसे सतर्कता समूहों के बारे में अपनी जानकारी के आधार पर अधिकारी ने उनके तौर-तरीकों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘वे पहले पार्कों, सार्वजनिक स्थानों आदि में जोड़ों को परेशान करना शुरू करते हैं और मीडिया का ध्यान आकृष्ट करते हैं. कई बार अंतरधार्मिक संबंधों वाले युवाओं के माता-पिता मदद के लिए इन कथित गुंडों से संपर्क करते हैं. हमेशा भले ही न हो पर पर अक्सर माता-पिता उन्हें इसके लिए पैसे देने को भी तैयार हो जाते हैं. वे एक पक्ष से मदद के नाम पर पैसा लेते हैं और मामला निपटाने की कवायद के दौरान दूसरे पक्ष से जबरन वसूली भी करते हैं.’
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि महामारी के कारण तमाम और युवा बेरोजगार हो गए हैं. इनमें से कई विचारधारा की रक्षा की आड़ में इन संगठनों में बतौर ‘कार्यकर्ता’ शामिल हो गए हैं. अधिकारी का कहना है, ‘कानून किसी को भी धर्म और जाति के आधार पर किसी से बात करने या साथ घुलने-मिलने से नहीं रोकता है, और इसलिए माता-पिता भी जानते हैं कि ऐसे मामलों में कुछ गैर-कानूनी नहीं है और पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती है. इसलिए वे इस तरह के संगठनों से संपर्क साधते हैं.’
वह कहते हैं कि कई मामलों में जब ऐसे संगठनों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की जाती है, तो लड़की को ये आरोप लगाने के लिए बाध्य किया जाता है कि लड़का उसे परेशान कर रहा है या धमकी दे रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘अब यह एक अपराध है. सतर्कता संगठन से जुड़े लोग इसे कानून अपने हाथ में लेने के एक बहाने के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं.’
कोंडुस्कर इससे इनकार कतई नहीं करते है कि राजनेता उनसे संपर्क करते हैं और उनका संगठन चुनाव के समय काम आता है. उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय मंत्रियों से लेकर स्थानीय विधायकों तक, हर कोई यहां आता है और ठीक उसी जगह बैठते हैं जहां इस समय आप हैं और मुझसे और मेरे कार्यकर्ताओं से मदद मांगते हैं. लेकिन हम उनसे कोई मदद मांगने नहीं जाते.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)