नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की. इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद रहे.
इस डिजिटल मिशन के तहत लोगों को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड दर्ज होगा.
प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी. वर्तमान में इस योजना को छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है.
पीएम मोदी ने जनता को संबोधित करते हुऐ इस मिशन के बारे में जानकारी दी और कहा, ‘मुझे खुशी है कि आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पूरे देश में शुरू किया जा रहा है. ये मिशन देश के गरीब और मध्यम वर्ग के इलाज में होने वाली दिक्कतों को दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा. टेक्नोलॉजी के माध्यम से मरीजों को पूरे देश के हजारों अस्पतालों से कनेक्ट करने का जो काम आयुष्मान भारत ने किया है, आज उसे भी विस्तार मिल रहा है.’
3 साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पंडित जी को समर्पित आयुष्मान भारत योजना पूरे देश में शुरू हुई थी.
पीएम मोदी ने कहा, ‘आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने गरीब के जीवन की बहुत बड़ी चिंता दूर की है. अभी तक दो करोड़ से अधिक देशवासियों ने इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है. इसमें भी आधी लाभार्थी हमारी माताएं, बहनें और बेटियां हैं.’
’21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए भारत के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. बीते 7 वर्षों से देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का जो अभियान चल रहा है, वो आज से एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है.’
हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा
आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में बहुत मदद मिली. सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन अभियान के तहत भारत आज करीब-करीब 90 करोड़ वैक्सीन डोज लगा पाया है तो इसमें कोविन का बहुत बड़ा रोल है. रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्टिफिकेशन तक का इतना बड़ा प्लेटफॉर्म दुनिया के कई बड़े-बड़े देशों के पास तक नहीं है.
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा. इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी. हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा.
मोदी ने कहा, ‘डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज खुद भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को जरूरत पड़ने पर चेक कर सकता है. इसमें डॉ, नर्स, पैरा मेडिक जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा. देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं ये सभी भी रजिस्टर होंगी.’
गांवों की चिकित्सा सेवाओं में सुधार पर जोर
पीएम ने कहा, ‘भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि गांवों की चिकित्सा सेवाओं में सुधार हो.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आज गांव और घर के निकट ही प्राइमरी हेल्थ केयर से जुड़े नेटवर्क को सशक्त किया जा रहा है. अभी तक ऐसे 80,000 सेंटर चालू हो चुके हैं. बेहतर मेडिकल सिस्टम के साथ ही ये भी जरूरी है कि गरीब और मध्यम वर्ग का दवाओं पर कम से कम खर्च हो. इसलिए केंद्र सरकार ने जरूरी दवाओं, सर्जरी के समान, डायालिसिस जैसी अनेक सेवाओं और समान को सस्ता रखा है.’
‘अब भारत में एक ऐसे हेल्थ मॉडल पर काम जारी है, जो होलिस्टिक हो, समावेशी हो. एक ऐसा मॉडल, जिसमें बीमारियों से बचाव पर बल हो,- यानि प्रिवेंटिव हेल्थकेयर, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ हो, सस्ता हो और सबकी पहुंच में हो.’
पीएम मोदी ने कहा कि बीते तीन वर्षों में आयुष्मान भारत पर जो हजारों करोड़ रुपये सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं.
उन्होंने कहा, ‘130 करोड़ आधार नंबर, 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता, करीब 43 करोड़ जनधन बैंक खाते, इतनी बड़ी एकीकृत आधारभूत अवसंरचना दुनिया में कहीं नहीं है.’ मोदी ने कहा कि यह डिजिटल आधारभूत अवसंरचना राशन से लेकर प्रशासन तक को तेज, पारदर्शी तरीके से सामान्य भारतीय तक पहुंचा रही है.
उन्होंने कहा, ‘आरोग्य सेतु ऐप से कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में बहुत मदद मिली. सबको टीका, मुफ्त टीका अभियान के तहत भारत आज टीके की करीब-करीब 90 करोड़ खुराक लगा पाया है तो इसमें को-विन ऐप की बहुत बड़ी भूमिका है.’
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘स्वास्थ्य का पर्यटन के साथ एक बड़ा मजबूत रिश्ता है क्योंकि जब हमारा स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा एकीकृत होता है, मजबूत होता है, तो उसका प्रभाव पर्यटन क्षेत्र पर भी पड़ता है.’
उन्होंने कहा, ‘भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए चिकित्सा शिक्षा में भी अभूतपूर्व सुधार हो रहे हैं. 7-8 साल पहले की तुलना में आज अधिक चिकित्सक और पैरामेडिकल कर्मी देश में तैयार हो रहे हैं.’
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