पटना: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जातीय जनगणना की मांग दोहराते हुए बुधवार को कहा कि अगर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या आधी आबादी से ज्यादा है तो ऐसी स्थिति में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को ‘तोड़ा’ जाना चाहिए.
साल की शुरुआत में जेल से रिहा होने के बाद दिल्ली में आराम कर रहे लालू ने बुधवार को पटना में आयोजित राजद कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर को ऑनलाइन संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की.
संप्रग-1 सरकार में रेल मंत्री रहे लालू ने कहा, ‘मैं जाति जनगणना की मांग उठाने वाला पहला व्यक्ति था. मैंने संसद के पटल पर मांग की थी.’
चारा घोटाला मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद लंबे समय तक सलाखों के पीछे रहने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मेरी मांग एससी और एसटी सहित सभी के कल्याण के लिए है. स्वतंत्रता से पहले की गई जनगणना को ध्यान में रखते हुए कोटा तय किया गया है. हमारे पास विभिन्न सामाजिक वर्गों की जनसंख्या का नया अनुमान होना चाहिए.’
नब्बे की दशक में मंडल आंदोलन में सक्रिय रहे लालू ने कहा, ‘मौजूदा कोटा अपर्याप्त है. और यह भी शायद ही कभी भरे जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारी बैकलॉग होता है. नई जातीय जनगणना हो और सभी को अपनी जनसंख्या के अनुपात में कोटा मिले. अगर इसके लिए 50 प्रतिशत की बाधा को तोड़ने की जरूरत है तो तोड़ी जाए’
लालू के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाति जनगणना के मुद्दे पर मुलाकात की थी.
विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे लालू ने 30 मिनट से भी कम देर बात की और पार्टी कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह जल्दी ही बिहार में होंगे और सभी जिलों का दौरा करेंगे.
पिछले साल तेजस्वी के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन से खुश लालू ने कहा, ‘तेजस्वी के नेतृत्व में आप सभी ने मेरी अनुपस्थिति में बहुत अच्छा किया. मुझे खुशी है कि हम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे, हालांकि हम ‘बेइमानी’, ‘धोखे’ की वजह से सत्ता हासिल करने से वंचित रह गए.’
वहीं हाल ही में राजद की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के साथ विवाद में उलझे लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने स्पष्ट रूप से पार्टी में अधिक अनुशासन की आवश्यकता को स्वीकार किया.
उन्होंने उत्तर प्रदेश में वामपंथी और समाजवादी पार्टी जैसे गठबंधन सहयोगियों का उदाहरण देते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘हमारे पोलिंग एजेंट अक्सर चुनाव के दौरान ढीले पड़ जाते हैं. ऐसे प्रशिक्षण शिविरों के जरिए इस दोष को दूर करना चाहिए. हमारे सहयोगी भाकपा और माकपा को देखिए जो इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करते रहते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं यह भी सुझाव दूंगा कि हमारे सभी सदस्य पहचान के तौर पर एक हरे रंग का गमछा लपेटें. समाजवादी पार्टी को देखिए. इसके सभी कार्यकर्ता लाल टोपी पहनते हैं.’