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Friday, 22 November, 2024
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पेट्रोल-डीजल को GST के अंतर्गत लाने का सही समय नहीं: निर्मला सीतारमण

जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. काउंसिल ने कोविड उपचार में उपयोग होने वाली दवाओं पर रियायती जीएसटी दरों को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है.

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नई दिल्ली: पेट्रोलियम उत्पादों को फिलहाल जीएसटी के अंतर्गत नहीं लाया जाएगा. जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि काउंसिल के सदस्यों को लगता है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का अभी सही समय नहीं है.

जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. काउंसिल ने कोविड उपचार में उपयोग होने वाली दवाओं पर रियायती जीएसटी दरों को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘कोरोना से संबंधित दवाओं पर जीएसटी दरों में छूट दी गई थी जो 30 सितंबर तक लागू थी. अब इस छूट को 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ाया गया है. जीएसटी दरों में ये छूट सिर्फ दवाइयों में दी जाएगी, पहले जो लिस्ट जारी की गई थी उसमें कई तरह के दूसरे उपकरण भी शामिल थे.’

सीतारमण ने कहा, ‘कुछ जीवन रक्षक दवाएं जो बहुत महंगी हैं, जो बच्चों के लिए ज़्यादा इस्तेमाल की जाती हैं, ये कोरोना से संबंधित नहीं हैं. ऐसी ड्रग्स को जीएसटी से छूट दी गई है. इस पर अब जीएसटी नहीं लगेगा. ज़ोलगेन्स्मा और विल्टेप्सो ऐसी ही 2 महत्वपूर्ण ड्रग्स हैं.’

वित्त मंत्री ने बताया कि एम्फोटेरिसिन-बी और टोसीलिज़ुमैब पर जीएसटी नहीं लगेगा. उन्होंने कहा कि रेमडिसिविर और हेपरिन पर 5% जीएसटी लगेगा. ये छूट 31 दिसंबर 2021 तक जारी रहेगी.

कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं पर लगने वाली जीएसटी की दर को भी कम कर दिया गया है. सीतारमण ने कहा, ‘कैंसर संबंधी ड्रग्स जैसे कीट्रूडा पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% की गई है.’

इसके अलावा डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स द्वारा सुझाए गई सात दवाइयों पर लगने वाली जीएसटी दरों को भी कम कर दिया गया है.

वित्त मंत्री ने बताया कि बायोडीजल पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है.

उन्होंने कहा, ‘स्विगी और जोमैटो जैसी ई-वाणिज्य इकाइयां उनके जरिये आपूर्ति की जाने वाली रेस्तरां सेवा पर जीएसटी का भुगतान करेंगी. टैक्स डिलिवरी बिंदु पर वसूला जाएगा.’

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के मंत्रियों का एक समूह दरों को तर्कसंगत बनाये जाने संबंधी मुद्दों पर गौर करेगा और दो माह में अपनी सिफारिशें देगा.


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पेट्रोल-डीजल जीएसटी के अंतर्गत नहीं आएंगे

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को लेकर मीडिया में काफी अटकलें लगाई जा रही थी. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात को स्पष्ट कर दूं कि ये मुद्दा आज के एजेंडा में शामिल किया गया क्योंकि केरल हाई कोर्ट ने ऐसा करने का सुझाव दिया था.’

उन्होंने कहा, ‘जीएसटी काउंसिल के सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई की पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने का अभी समय नहीं है.’

‘ये निर्णय लिया गया है कि हम केरल हाई कोर्ट को बताएंगे कि इस मामले पर चर्चा की गई और काउंसिल को लगता है कि इसे अभी जीएसटी के अंतर्गत लाने का सही समय नहीं है.’

बीते कई दिनों से ये चर्चा चल रही थी कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने को लेकर इस बैठक में कोई निर्णय लिया जा सकता है.

इसके अलावा रेलवे पार्ट्स और लोकोमोटिव्स पर लगने वाली जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है.

सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले राष्ट्रीय परमिट शुल्क से छूट दी है. वहीं कलम पर 18 प्रतिशत की एकल दर से जीएसटी लगेगा, वहीं विशिष्ट नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर 12 प्रतिशत माल एवं सेवा कर लगेगा.

जीएसटी परिषद ने जूता-चप्पल और कपड़ों पर एक जनवरी, 2022 से उल्टा शुल्क ढांचे को ठीक करने को लेकर सहमति जतायी.


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