नई दिल्ली: करनाल में किसानों और प्रशासन के बीच अब सुलह हो गई है. जिसके बाद किसानों ने अपना धरना खत्म कर दिया है.
28 अगस्त को बसताड़ा टोल पर किसानों पर हुए लाठीचार्ज और एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच चल रहे टकराव पर शनिवार को विराम लग गया.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि कल की वार्ता सकारात्मक वातावरण में हुई. आम सहमति से निर्णय हुआ है कि सरकार 28 अगस्त को हुए घटना की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच करवाएगी. जांच 1 महीने में पूरी होगी.
इस बैठक में हरियाणा के करनाल जिला प्रशासन और किसानों के बीच दो मांगों पर समझौता हो गया है. एक बसताड़ा में हुए लाठीचार्ज की जांच और दूसरी मृतक के परिजन को डीसी रेट पर नौकरी. SDM आयुष सिन्हा को छुट्टी पर भेज दिया गया है.
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह ने कहा, पूर्व एसडीएम आयुश सिन्हा इस दौरान छुट्टी पर रहेंगे. हरियाणा सरकार मृतक किसान सतीश काजल के 2 परिवारजनों को करनाल ज़िले में डीसी रेट पर सेंक्शन पोस्ट पर नौकरी देगी.’
बता दें कि प्रशासन और किसान नेताओं के बीच समझौता शुक्रवार देर रात ही हो गया था, जिसकी जानकारी शनिवार सुबह दोनों पक्षों ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके दी. शुक्रवार रात को समझौता होते ही शनिवार सुबह होने वाली मीटिंग कैंसिल कर दी थी. इसके बाद से ही किसानों ने धरना भी समेटना शुरू कर दिया था.
करनाल में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया, ‘आज यहां संयुक्त मोर्चे की बैठक करने की जरूरत नहीं है. हम 1 नौकरी मांग रहे थे, कल हमने 2 मांगी. एक हफ्ते में 2 नौकरियां मिल जाएंगी. SDM जबरन छुट्टी पर रहेंगे. उसके बाद उनपर अलग FIR दर्ज़ होगी.’
चढ़ूनी ने आगे कहा, ‘ आज आंदोलन स्थल खाली हो जाएगा, इस पर हमने सभी लोगों की राय ले ली है. सभी ने अपनी सहमति जताई है. संयुक्त मोर्चे की बैठक अब यहां नहीं दिल्ली में होगी। दिल्ली का आंदोलन वैसे ही जारी रहेगा हमारी तरफ से ये किसानों की जीत है.
बता दें 28 अगस्त को पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ किसानों ने मंगलवार को करनाल में जिला मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे थे. उनकी मुख्य मांग तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा को निलंबित करना है, जो कथित तौर पर पुलिसकर्मियों से यह कहते हुए सुने गए थे कि अगर वे सीमा पार करते हैं तो किसानों का सिर फोड़’ दें.
उन्होंने यह भी दावा किया था कि 28 अगस्त की हिंसा के बाद एक किसान की मौत हो गई, हालांकि प्रशासन ने इस आरोप इनकार कर दिया था.
करनाल में 28 अगस्त को भाजपा के बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे किसानों की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी जिस दौरान लगभग 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे.
प्रशासन के बुलाने पर गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में सुरेश कौथ और रतन मान समेत कई किसान नेता बातचीत करने पहुंचे थे. इस दौरान अधिकारियों ने कई बार चंडीगढ़ भी बात की.
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