बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ से अपना नाता तोड़ने का असम कांग्रेस का फैसला किसी आश्चर्य की बात नहीं है. सिर्फ़ सत्ता हासिल करने के बनाए गये अवसरवादी गठबंधन के कौमन मिनिमम प्रोग्राम स्वाभाविक रूप से नाजुक से होते हैं. गठबंधन की यह टूट धर्मनिरपेक्ष दलों की वैचारिक दुविधा को भी दर्शाता है जो मुस्लिम समर्थक तमगा लगने के डर में निहित है. और यही हिंदू दक्षिणपंथी राजनीति की असल सफलता है.
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