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Wednesday, 6 November, 2024
होमहेल्थकोविड के कारण लंबे समय बाद स्कूल लौटने वाले बच्चों को कैसे ‘भावनात्मक प्रशिक्षण’ दे सकते हैं पैरेंट्स

कोविड के कारण लंबे समय बाद स्कूल लौटने वाले बच्चों को कैसे ‘भावनात्मक प्रशिक्षण’ दे सकते हैं पैरेंट्स

स्कूल लौट रहे बच्चों को भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता हो सकती है. इसके लिए भावनात्मक प्रशिक्षण का उपयोग जटिल नहीं है, लेकिन इसके लिए माता-पिता का मजबूत होना महत्वपूर्ण है.

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वाटरलू/टोरंटो (कनाडा): कोरोनावायरस महामारी के कारण लंबे समय से घरों में बंद बच्चे अब सितंबर से पुन: स्कूल जाने लगेंगे, ऐसे में परिवार अनिश्चितता से एक बार फिर जूझेंगे. इससे संबंधित चिंता पिछले 18 महीनों में बच्चों और किशोरों के बीच दोगुने हुए अवसाद एवं बेचैनी के लक्षणों के कारण और बढ़ गई है.

हमारी टीम संघर्ष कर रहे लोगों की मदद करने वाली रणनीतियां विकसित करने के लिए कोरोनावायरस वैश्विक महामारी की शुरुआत से ही बच्चों एवं परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन कर रही है. बच्चों को स्कूल पुन: भेजना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन हमें पूरे परिवार के कुशलक्षेम को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि जब बच्चों को कक्षाओं एवं घरों दोनों जगह सहयोग मिलता है, वे तभी सर्वाधिक सफल हो पाते हैं.

भावनाओं पर ध्यान देना, उन्हें पहचानना और उनका प्रबंधन करना पारिवारिक स्वास्थ्य और कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. भावनात्मक प्रशिक्षण एक सरल रणनीति है जिसे माता-पिता अपने बच्चों और प्रियजनों की मदद के लिए उपयोग कर सकते हैं.


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महामारी ने कैसे प्रभावित किया है?

दक्षिणी ओंटारियो में हमारे परिवार विज्ञान अनुसंधान समूह ने हाल में तीन अध्ययनों को प्रकाशित किया है, जिनमें बताया गया है कि कैसे महामारी ने रिश्तों और बच्चों एवं परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है. ये निष्कर्ष विश्वभर के 549 परिवारों और 1,098 बच्चों के नमूनों पर आधारित हैं.

हमने पाया कि महामारी का तनाव तीन श्रेणियों में से एक श्रेणी के तहत आता है. ये श्रेणियां हैं: (नौकरी छूटना, कर्ज की समस्या जैसे कारणों से होने वाला) आर्थिक तनाव, (परिवार के सदस्यों के बीच अलगाव या शत्रुता बढ़ने जैसे कारणों से होने वाला) रिश्तों संबंधी तनाव और (महामारी संबंधी समाचारों के कारण पैदा होने वाला) महामारी-विशिष्ट तनाव. कई अभिभावक इतने अधिक तनाव में हैं कि वे अपने बच्चों को भावनात्मक सहयोग नहीं दे पा रहे. इसके अलावा महामारी के कारण सभी परिवार समान रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं.

जिन अभिभावकों का हमने अध्ययन किया, उनमें पाया गया कि जिन महिलाओं ने जीवन के शुरुआत में कठिनाइयों का सामना किया है कि उनके मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की अधिक संभावना है. इसके अलावा उन पुरुषों पर मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का अधिक खतरा है, जिन्होंने शुरुआती जीवन में कठिनाइयां झेली हैं.

मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे माता-पिता पूरे परिवार को प्रभावित करते हैं. जिन बच्चों के माता-पिता मनोवैज्ञानिक तनाव झेल रहे हैं, उनके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की अधिक संभावना होती है. इसके अलावा एक ही परिवार के बच्चों पर भी प्रभाव अलग-अलग हो सकता है.


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भावनात्मक प्रशिक्षण क्या है?

भावनात्मक प्रशिक्षण संवाद का एक तरीका है, जिसे मनोवैज्ञानिक जॉन गॉटमैन के अध्ययन के आधार पर विकसित किया गया है और तब से कई प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों में इसे शामिल किया गया है. यह जटिल नहीं है और कोई भी इसका उपयोग कर सकता है.

1. माता-पिता सबसे पहले बच्चों की भावनाओं को मान्यता दें. इसके लिए आवश्यक है कि वे बच्चों से कहें: ‘मैं समझता हूं कि आप चिंतित महसूस कर रहे होंगे …’ और फिर वे भावना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहें: ‘… सितंबर आने वाला है. आप इस बारे में चिंतित होंगे कि इतने लंबे समय तक घर पर रहने के बाद स्कूल लौटना कैसा अनुभव होगा.’

इससे बच्चों को लगता है कि उनकी भावनाएं अनुचित नहीं हैं और यदि उन्हें ऐसा कुछ महसूस हो रहा है, तो इसमें कुछ भी गलत या बुरा नहीं है और उनके माता-पिता उन्हें समझते हैं.

2. इसके बाद वे बच्चों को सुकून देने वाला, आश्वस्त करने वाला और आशावादी भावनात्मक सहयोग दे सकते हैं. आप बच्चों से यह कह सकते हैं: ‘मैं इस दौरान हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगा.’

इसके बाद, आप ध्यान भटकाकर, उनकी समस्याओं का समाधान करके या उन्हें प्रोत्साहन देकर व्यावहारिक सहयोग दे सकते हैं. यदि बच्चा सितंबर की अनिश्चितता को लेकर चिंतित है, तो माता-पिता मिलकर कोई मनोरंजक गतिविधि कर सकते हैं. यदि कोई किशोर स्कूल जाने से मना कर रहा है, तो माता-पिता उसे प्रोत्साहित कर सकते हैं.

माता-पिता की भावनाएं

स्कूल लौट रहे बच्चों को भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता हो सकती है. इसके लिए भावनात्मक प्रशिक्षण का उपयोग जटिल नहीं है, लेकिन इसके लिए माता-पिता का मजबूत होना महत्वपूर्ण है.

माता-पिता विभिन्न पद्धतियां अपनाकर, मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में ऑनलाइन उपलब्ध सामग्रियों का इस्तेमाल करके या व्यायाम करके, स्वास्थ्यवर्धक भोजन के जरिए और पर्याप्त नींद लेने जैसे तरीकों से मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखकर अपनी भावनाओं का प्रबंधन कर सकते हैं. हमारी सलाह है कि माता-पिता स्कूल शुरू होने से पहले बच्चों के साथ बात करें.


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