नई दिल्ली: भारत के कई राज्यों में सार्स-कोव-2 डेल्टा वैरिएंट की एक नई उप-श्रेणी का पता लगा है, जिसे एवाई.12 के नाम से जाना जाता है और बहुत संभव है कि इजरायल में कोविड मामले नए सिरे से बढ़ने का कारण यह उप-श्रेणी ही है.
इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के साप्ताहिक बुलेटिन के मुताबिक, डेल्टा संस्करण दुनियाभर के लोगों को संक्रमित कर रहा है और इजरायल में तो लगभग 60 प्रतिशत आबादी के पूरी तरह टीकाकरण के बावजूद नए मामले बढ़कर फिर से पूर्व में आए पीक के करीब पहुंच रहे हैं.
आईएनएसएसीओजी भारत में नमूनों की सीक्वेंसिंग के जरिये सार्स-कोव-2 में जीनोमिक विविधताओं पर नज़र रखने वाली एक मल्टी-लैब का देशव्यापी नेटवर्क है.
आईएनएसएसीओजी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि भारत में कई मामलों, जिन्हें पहले डेल्टा वैरिएंट के तौर पर वर्गीकृत किया गया था, को अब एवाई.12 के रूप में पुन: वर्गीकृत किया गया है.
इसमें कहा गया है, ‘हालांकि, चूंकि एवाई.12 की परिभाषा अभी असंगत है, इसलिए मामलों की अंतिम संख्या तय करने में कुछ समय लगेगा.’
इससे पहले, आईएनएसएसीओजी ने डेल्टा वैरिएंट की इस नई उप-श्रेणी को एवाई-4 के रूप में बताया था. हालांकि, इस वैरिएंट को परिभाषित करने वाले म्यूटेशन का फिर से मूल्यांकन करने के बाद इसे एवाई.12 के तौर पर पुनर्वर्गीकृत किया गया.
यह भी पढ़ें: कोविड की उत्पत्ति पर स्टडी के लिए तेजी से समय बीत रहा है, WHO के वैज्ञानिकों ने गिनाईं 6 प्राथमिकताएं
एवाई.12 और डेल्टा के बीच अंतर
आईएनएसएसीओजी के अनुसार, यह अभी पता नहीं चल पाया है कि एवाई.12 चिकित्सकीय तौर पर डेल्टा या बी.1.617.2 से भिन्न है.
हालांकि, एवाई-12 ने डेल्टा श्रेणी में दिखे स्पाइक प्रोटीन में जी142डी जैसे कुछ म्यूटेशन खो दिए हैं. इस प्रकार इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में चिंता का कारण बनने वाला कोई नया म्यूटेशन नहीं दिखा है. हालांकि, इजरायल में इसके तेजी से विकसित होने का मतलब है कि इसकी और जांच की जानी चाहिए.
मौजूदा समय में एवाई-12 इजराइल में सबसे अहम स्ट्रेन है- अध्ययन में शामिल 51 प्रतिशत नमूनों ने इस वैरिएंट की व्यापकता को दिखाया है.
भारत के विभिन्न रिसर्च ग्रुप की तरफ से जीआईएसएआईडी पर अब तक अपलोड किए गए सीक्वेंस की संख्या के आधार पर पिछले सप्ताह के दौरान इस वैरिएंट की व्यापकता बढ़कर 20 प्रतिशत से अधिक हो गई है.
जीआईएसएआईडी में अपलोड किए गए डेटा के आधार पर नए वैरिएंट और उसकी व्यापकता को ट्रैक करने वाली साइट आउटब्रेकडॉटओआरजी का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत के बाद से एवाई.12 के 1,504 नमूने भारत से अपलोड किए गए हैं- जो कुल वैरिएंट नमूनों का चार फीसदी है.
भारत में एवाई.12 का पहला नमूना 7 सितंबर 2020 का है.
आईएनएसएसीओजी ने अब तक भारत से वायरस के 67,699 नमूनों का सीक्वेंस बनाया है, जिनमें से 50,869 का विस्तार से विश्लेषण किया जा चुका है. राज्य सरकारों की तरफ से सैंपल के 11,016 अतिरिक्त सीक्वेंस साझा किए गए हैं- जिससे अब तक कुल सैंपल सीक्वेंस की संख्या 78,865 हो गई है.
इसके विपरीत, भारत में अब तक 3.2 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसका मतलब है कि भारत में सैंपल के केवल 0.002 हिस्से की ही सीक्वेंसिंग हुई है.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: PDA की शिकायतों पर हैदराबाद के पार्क ने बैन की अविवाहित जोड़ों की एंट्री, विरोध के बाद हटाया बैनर