लखनऊ: पिछले ही महीने, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन के संबंध में पार्टी ‘खुला दिमाग’ रखती है. जब उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) की उन दो महिला कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी जिन पर इस साल के ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान कथित तौर पर मारपीट की गई थी, तो इसे 2017 की महापराजय के बाद दोनों पार्टियों के बीच के गठबंधन को एक और मौका देने की कांग्रेस की चाहत के संकेत के रूप में देखा गया था.
हालांकि, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस द्वारा तैयार की गई एक प्रचार पुस्तिका के विषय-वस्तु से अब ऐसा लगता है कि पार्टी का ऐसे किसी गठबंधन का कोई इरादा नहीं है.
प्रत्येक ब्लॉक और चुनाव अभियान प्रशिक्षण सत्रों में वितरित किए जाने के लिए छापी गई इस 24 पन्नों की पुस्तिका में उत्तर प्रदेश में सपा के कार्यकाल को भ्रष्टाचार, खराब प्रशासन और ‘एक-जाति-एक-परिवार’ के प्रभुत्व को बढ़ावा देने वाला बताया गया है.
इस में सत्ताधारी भाजपा को भी निशाने पर लिया गया है, विशेष रूप से कोविड संकट के मामले में, और साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संबंध में भी बातें की गई हैं. इन तीनों दलों को चोरों के रूप में चित्रित किया गया है, और साथ हीं इन दलों के नेताओं के व्यंग-चित्र (कैरकचर) भी छापे गये हैं.
यूपी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस पुस्तिका के (प्रकाशन के) बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी ने सपा या बसपा के साथ गठबंधन करने के बारे में अपनी सभी उम्मीदें खो दी है. अब हमें इन तीनों दलों पर समान रूप से हमला करना है. कम-से-कम यह पुस्तिका तो यही संकेत देती है. मुझे लगता है कि गठबंधन की संभावनाओं को लेकर बात बन नहीं पाई.’
इस नेता ने यह भी कहा कि सपा ने पिछले हफ्ते कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्ष की एकता बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था.
उन्होने कहा कि ‘इसी कारण हमारे पास तो केवल ‘एकला चलो’ का ही विकल्प बचा है. यह एक तरह से हमारे लिए अच्छा और बुरा दोनों है. अब हमारे कई स्थानीय नेताओं को, जिन्हें 2017 के चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था, वे कम से कम टिकट तो पा सकेंगे.‘
कांग्रेस और सपा ने 2017 यूपी विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें कांगेस ने 105 उम्मीदवारों और सपा ने 298 उम्मीदवारों को टिकट दिया था. कांग्रेस ने केवल 7 सीटें जीतीं थी, जबकि सपा को 47 सीटें मिली थी और भाजपा ने दोनों पर भारी जीत हासिल करते हुए राज्य की 403 सीटों में से 312 सीटें जीतीं थी. मालूम हो कि कांग्रेस 1989 के बाद से ही राज्य में सत्ता में नहीं है.
टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर यूपी कांग्रेस के प्रमुख अजय लल्लू ने कहा कि इन पुस्तिकाओं को जिलों में हमारे द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में वितरित किया जाना है. उनका इशारा ‘प्रशिक्षण से पराक्रम’ नाम वाले बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए उस विशेष 12-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की ओर था जिसे कांग्रेस पार्टी ने इस सोमवार से यूपी के कई जिलों में शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि, ‘यह सच है कि इन तीनों पार्टियों के कार्यकाल के दौरान पिछले 32 साल से उत्तर प्रदेश लगातार खराब प्रशासन और भ्रष्टाचार से जूझ रहा है.’ लल्लू का कहना है कि हम इन मुद्दों को सार्वजनिक रूप से उठाएंगे और तीनों दलों- बीजेपी, एसपी और बीएसपी- पर हमला करेंगे.
गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘अभी तक, हमारा सिर्फ़ ‘जनता’ के साथ ही गठबंधन है. उन्होंने यह देखा है कि कांग्रेस ही एकमात्र विपक्षी दल है जिसने पिछले चार वर्षों में राज्य में बिना किसी डर के उनकी आवाज उठाई है.‘
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‘चोर-चोर मौसेरे भाई’
इस पुस्तिका, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट को भी प्राप्त हुई है, को नौ अध्यायों में विभाजित किया गया है और इसका शीर्षक है ‘किसने बिगाड़ा उत्तर प्रदेश को’. इसके आवरण पृष्ठ (कवर) पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा नेता अखिलेश यादव और मायावती के कैरिकेचर हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालात के लिए एक-दूसरे को दोषी देते हुए दिखाया गया है.
तीसरे पेज पर दिए गये कुछ और कार्टून यह बताने की कोशिश करते हैं कि बीजेपी, एसपी और बीएसपी सभी चोर हैं. इनके नीचे चोरों के बीच की साझा सद्भावना पर जोर देने देने के लिए ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ वाला मुहावरा लिखा गया है.
इसके बाद वाली पंक्ति में लिखा है ‘सबने प्रदेश को लूटा, मिल बांट कर खाई-मलाई’.
समाजवादी पार्टी के ऊपर लिखे गये अध्याय का शीर्षक है, ‘सपा का कुशासन: कुनबावाद, जंगलराज, जातिवाद और भ्रष्टाचार’.
कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि, ‘यहां ‘कुनबावाद’ का अर्थ परिवारवाद से है. यह यादव परिवार पर किया गया एक हमला है. यह अध्याय अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के शासनकाल के दौरान एक ही जाति, यादवों के वर्चस्व का भी उल्लेख करता है और बताता है कि कैसे उन्हें कई सरकारी पदों, विशेष रूप से जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, तबादलों और पुलिस विभाग में नौकरियों के लिए प्राथमिकता दी गई.’
इसके बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गये हैं- अखिलेश यादव की सरकार (एक्सप्रेसवे, रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और खनन परियोजनाओं) के साथ-साथ उनके चाचा शिवपाल यादव (पोस्टिंग और ट्रांसफर में) के खिलाफ भी मामलों का ज़िक्र है. इस बुकलेट में दावा किया गया है कि सपा के कार्यकाल में 700 से ज्यादा दंगे हुए.
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने इस पुस्तिका के बारे में कहा, ‘2017 के विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन की घोषणा करने से पहले कांग्रेस ने 2016 में ’27 साल यूपी बेहाल’ का नारा दिया था. इस पुस्तिका में, हमने बस इसे 32 साल में बदल दिया है.’
अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर सपा के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी इस बार कांग्रेस के साथ एक और गठजोड़ का ‘जोखिम लेने’ को कतई इच्छुक नहीं है.
इस पदाधिकारी ने आगे कहा कि ‘विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और लोकसभा चुनावों में बसपा के साथ गठबंधन का अनुभव हमारे लिए बहुत खराब था. इसलिए, हम इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.’
उन्होने कहा कि ‘आरएलडी के साथ हमारी अच्छी समझ है क्योंकि पश्चिमी यूपी में उनकी मजबूत पकड़ है. इसी वजह से, हम उनके साथ और महान दल जैसे कुछ छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के साथ नहीं.‘
सपा के इस पदाधिकारी ने कहा कि, ‘कांग्रेस की इस राज्य में किसी भी खास वोट बैंक पर पकड़ नहीं है. अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है, तो वह हमारे लिए कई सीटों पर फायदेमंद होगी, जहां वह भाजपा के सवर्ण वोटों को नुकसान पहुंचा सकती हैं.‘
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बीजेपी, बसपा के ऊपर दिए गये अध्याय
इस पुस्तिका के पहले सात अध्याय योगी आदित्यनाथ सरकार के शासन की कोविड, अपराध, नौकरी, मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर आलोचना के प्रति समर्पित हैं. गंगा के तट पर बिखरी हुई शवों की तस्वीरें – जिनके बारे में माना जाता है कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान रोगियों के शवों को अंतिम संस्कार की जगह या पैसे के अभाव में नदी में फेंक दिया गया था– भी इस पुस्तिका में शामिल की गयी हैं.
बसपा पर दिया गया अध्याय एकदम आखिरी में है, जिसका शीर्षक है ‘बसपा का कुशासन: मायावती, दलित नहीं दौलत की बेटी. यह शीर्षक खुद को ‘दलित की बेटी’ के रूप में चित्रित करने के मायावती के प्रयास पर एक तंज है.’
इस अध्याय में दावा किया गया है कि मायावती चुनाव में टिकट बेचती हैं, और उनके शासन के तहत हुए कथित घोटालों (एनआरएचएम, चीनी मिल) का भी उल्लेख किया गया है. अन्य बातों के अलावा, उनकी पार्टी पर भाजपा की ‘सहायक’ अथवा बी-टीम के रूप में काम करने का भी आरोप लगाया गया है.
पार्टी के कई पदाधिकारियों ने कहा कि कांग्रेस द्वारा राज्य के हर प्रखंड (ब्लॉक) में और ‘प्रशिक्षण से पराक्रम’ सत्रों के दौरान इन पुस्तिकाओं को वितरित करने की योजना है.
लल्लू ने बताया कि, ‘इस अभियान के दौरान कुल मिलकर 700 प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे, जहां बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा. पार्टी केवल इसी पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. इन शिविरों में हम विचारधारा के बारे में बताते हैं. साथ ही सोशल मीडिया पर भाजपा के नैरेटिव का मुकाबला करने और बूथ प्रबंधन करने के बारे में भी बताते हैं. कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए अन्य राज्यों के कई विशेषज्ञ यूपी आएंगे.’
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