नई दिल्ली: दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का लाभ उठाने में विफल रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई 2022 के नगर निगम चुनावों से पहले राष्ट्रीय राजधानी के लिए रणनीति तैयार करने को लेकर एक समर्पित चिंतन शिविर आयोजित करने वाली है.
पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, 23 अगस्त से शुरू होने वाले हरिद्वार में दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ में दिल्ली इकाई के भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे, जो राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम चुनाव और समग्र राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे.
पदाधिकारी ने कहा, ‘इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल सरकार से निपटने के लिए भी जिस तरह की रणनीति की जरूरत होगी, उस पर विचार विमर्श किया जाएगा. ‘पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है और हमें इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है.’
उन्होंने आगे कहा, हम पिछले कुछ कार्यकाल से नगर निगम चुनाव जीत रहे हैं और अपने प्रदर्शन को दोहराते रहने की जरूरत है.
भाजपा दिल्ली के तीनों नगर निगमों को नियंत्रित करती है, लेकिन पार्टी नेताओं को डर है कि आम आदमी पार्टी (आप) के सब्सिडाइज़्ड बिजली और मुफ्त पानी जैसी चीजों का फर्क नगर निगम चुनावों पर पड़ सकता है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश इकाई इस बात को लेकर चिंतित है कि कोविड-19 महामारी का असर नगर निगम चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है.
नेता ने कहा, ‘महामारी के दौरान, हमने देखा कि कांग्रेस जिसने कि अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता खो दी थी, लोगों के साथ फिर से जुड़ने की कोशिश कर रही है. ‘वे अपने द्वारा किए गए कामों को लोगों के सामने रखेंगे और चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बना सकते हैं. इसका पार्टी पर क्या असर पड़ेगा, इसकी जांच किए जाने की ज़रूरत है. इस सब पर भी चर्चा की जाएगी.’
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष अवधेश कुमार गुप्ता के अलावा प्रदेश के प्रभारी व सह प्रभारी बैजयंत पंडा, तीनों विधायक, सात सांसद, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश बिधूड़ी, प्रदेश भाजपा के कुछ पूर्व अध्यक्षों और पार्टी के एक-दो अन्य वरिष्ठ नेताओं के हरिद्वार अधिवेशन में शामिल होने की संभावना है.
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दिल्ली में भाजपा का प्रदर्शन
तीनों निकायों-उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम- भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और स्टॉर्म वॉटर ड्रेन को साफ करने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने, सड़क के रखरखाव पर ध्यान न देने की वजह से जनता के गुस्से का सामना कर रहे हैं.
भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘दिल्ली भाजपा के कई नेता भी सत्ता पर अपना अधिकार जता रहे हैं जिसने इसे दिशाहीन बना दिया है. ‘हालांकि पार्टी लोकसभा स्तर पर सभी सात सीटें जीत सकती है, लेकिन राज्य स्तर पर चीजें पूरी तरह से अलग हैं और चूंकि आम आदमी पार्टी लगातार नगर निगम स्तर पर भाजपा के खराब प्रदर्शन को उजागर कर रही है, ऐसे में बीजेपी के लिए सब ठीक नहीं दिख रहा.
भाजपा ने पिछली बार दो दशक पहले दिल्ली में पद संभाला था और राज्य स्तर पर कांग्रेस के लगभग पूरी तरह से खत्म होने के बावजूद वह सत्ता में आने में असमर्थ रही.
एक सूत्र ने कहा कि इसके कई कारण हैं- आंतरिक कलह से लेकर केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए विश्वसनीय चेहरे की कमी, किसी बेहतर रणनीति का न होना और पिछले विधानसभा चुनावों में बैकफायरिंग के ध्रुवीकरण की कोशिश.
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी शुरुआत की थी. इस चुनाव में भाजपा 70 सीटों में से 32 जीतने वाली अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.
हालांकि, 28 सीटें जीतने वाली आप ने कांग्रेस के आठ विधायकों के बाह्य समर्थन से सरकार बनाने का फैसला किया. इसके तुरंत बाद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया और एक साल बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतीं.
आप ने 2020 के चुनाव में 62 सीटें जीतकर सत्ता में बनी रही. बाकी की 8 सीटें बीजेपी के खाते में गईं.
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