scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशरेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को समाप्त किए जाने का फैसला सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है: पीएम मोदी

रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को समाप्त किए जाने का फैसला सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है: पीएम मोदी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया. इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पिछली तिथि से कर मांग के कानून को समाप्त करने का फैसला कंपनियों को स्थिर निवेश परिवेश प्रदान करने तथा एक भरोसेमंद नीति को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को बताता है.

उन्होंने एक दिन पहले बृहस्पतिवार को पूर्व की तिथि से कर मांग से जुड़े कानून को समाप्त करने तथा इसके तहत ली गयी कर राशि वापस करने के सरकार के साहसिक निर्णय के बाद यह बात कही.

देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये उद्योग के साथ बैठक में मोदी ने कहा कि निर्यातकों को नीति के मोर्चे पर स्थिरता का महत्व पता है.

उन्होंने कहा, ‘पिछली तिथि से कराधान को समाप्त करने का निर्णय सरकार की प्रतिबद्धता (स्थिर निवेश परिवेश प्रदान करने तथा एक भरोसेमंद नीति को लेकर) को बताता है.’

सरकार ने पिछली तिथि से लागू कर कानून को लेकर कंपनियों में भय को खत्म करने के लिए बृहस्पतिवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया था. इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा.

सरकार ने यह भी कहा कि वह इस तरह के कर के जरिये वसूले गए धन को वापस कर देगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया. इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

संशोधन विधेयक को लोकसभा ने शुक्रवार को पारित कर दिया और अगले सप्ताह इसके राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है.

पूर्व की तिथि से कराधान समाप्त करने के निर्णय का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘निर्यातक विभिन्न देशों में व्यापार करते हैं. उन्हें नीति के मोर्चे पर स्थिरता का महत्व पता है.’


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स खत्म करने के फैसले को लेकर SJM के पदाधिकारी और BJP नेता के बीच तनातनी


लोकसभा ने कराधान विधि संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

लोकसभा ने विपक्षी दलों के शोर शराबे के बीच शुक्रवार को ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 के जरिये की गयी मांगों को वापस लिया जाएगा.

इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ को चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद संबंधित कानून में संशोधन किया गया जिससे पूर्व की तिथि से कर लगाया जा सकता था.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसक विरोध करते हुए कहा था कि यह प्रावधान कानून सम्मत नहीं है और निवेशकों की भावना के प्रतिकूल भी है.

वित्त मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद उच्च स्तरीय समिति ने इस पर विचार किया.

उन्होंने कहा, ‘पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सैद्धांतिक रूप से हम इससे सहमत नहीं है. न्यायालय में कई मामले लंबित थे और इन मामलों के तार्किक परिणति तक पहुंचने के बाद यह विधेयक लाया गया. हमने जो वादा किया था, उसको पूरा करने के लिए हम संशोधन लाए हैं.’

इसके बाद लोकसभा ने पेगासस एवं अन्य मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच ही ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंजूरी दे दी.

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

विधेयक में कहा गया है, ‘इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव है.’

इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा.

भारत सरकार पिछली तिथि से लागू कर कानून के खिलाफ इन दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है.

विधेयक में कहा गया कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के अंतरण (भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण) के जरिए भारत में स्थित संपत्ति के हस्तांतरण की स्थिति में होने वाले लाभ पर कराधान का मुद्दा लंबी मुकदमेबाजी का विषय था.

उच्चतम न्यायालय ने 2012 में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.

इसके बाद सरकार ने वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को पिछली तिथि से संशोधित किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर भारत में कर लगेगा.

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, ‘इस कानून के अनुसार 17 मामलों में आयकर की मांग की गई थी. दो मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन के कारण आकलन लंबित हैं.’

विधेयक में कहा गया, ‘वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा किए गए उक्त स्पष्टीकरण संशोधनों ने पिछली तिथि से कराधान को लेकर हितधारकों की आलोचना को आमंत्रित किया. यह तर्क दिया जाता है कि पिछली तिथि से ऐसे संशोधन कर निश्चितता के सिद्धांत के खिलाफ हैं और एक आकर्षक गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं.’

विधेयक में आगे कहा गया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन ‘पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है.’

कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार और रोजगार को बढ़ावा देने में विदेशी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है.

विधेयक में कहा गया है कि यदि लेनदेन 28 मई 2012 से पहले किया गया है तो भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए पिछली तिथि से कराधान की कोई भी मांग भविष्य में नहीं की जाएगी.

इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव किया गया है और इस संबंध में सभी लंबित मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा, हालांकि लागत, हर्जाना, ब्याज आदि के लिए कोई दावा दायर नहीं किया जा सकेगा.


यह भी पढ़ें: UPA काल के विवादास्पद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स क़ानून को दफ़नाने के लिए आखिर मान ही गई मोदी सरकार


 

share & View comments